बिहार सरकार ने उर्वरक संकट के लिए केंद्र को ठहराया जिम्मेदार
दरअसल, जहां केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री किशोर चौधरी ने हाल ही में दावा किया था कि बिहार राज्य को पर्याप्त मात्रा में केंद्र की ओर से उर्वरक उपलब्ध कराया गया हैं तो वहीं अब राज्य के कृषि सचिव डॉ एन सरवन कुमार ने इसके विपरीत जानकारी देकर केंद्र सरकार को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया है.
राज्य के कृषि सचिव डॉ एन सरवन कुमार ने कहा कि बिहार को हाल ही में खरीफ सीजन के लिए केंद्र द्वारा आवंटित यूरिया की तुलना में 32 प्रतिशत कम यूरिया प्राप्त हुआ है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र से अक्टूबर-नवंबर में सबसे अधिक यूरिया मिलना था लेकिन मंजूरी मिलने के बाद भी आपूर्ति पूरी नहीं की गई. डॉ सरवन ने कहा कि दोनों महीने में केंद्र सरकार ने बिहार राज्य को 40-40 फीसदी कम यूरिया भेजा. उन्होंने बताया कि 11 जनवरी तक केंद्र की ओर से मात्र 68 फीसदी ही यूरिया की आपूर्ति की गई है.
कृषि सचिव ने बताया कि पिछले महीने यूरिया की आपूर्ति सुचारू होने के बावजूद, राज्य को जनवरी महीने के लिए आवंटित 10,30,000 मीट्रिक टन यूरिया में से लगभग 7,00,105 मीट्रिक टन (एमटी) ही प्राप्त हुआ. पिछले साल दिसंबर में आवंटित क्षमता के 97 फीसदी से ज्यादा यूरिया की आपूर्ति हुई थी. हालांकि विभाग को उम्मीद है कि जनवरी में भी बिहार को अपना उचित आवंटन मिल सकेगा.
उन्होंने बताया कि सिंचाई के समय हुई यूरिया की समस्या के कारण अनाधिकृत व्यापारी ऊंचे दामों पर गेहूं बेचने में सफल हो गए हैं. 260 के सरकारी मूल्य की तुलना में, वर्तमान में यूरिया का 50 किलो का पैकेट कथित तौर पर 350-400 रुपये के बीच बेचा जा रहा है.
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डॉ एन सरवन कुमार ने बताया कि इस बीच, इस माह यूरिया की कमी को लेकर सभी जिला कृषि पदाधिकारियों (डीएओ) को पंचायत स्तर तक किसानों को खाद के परिवहन और वितरण पर नजर रखने के निर्देश दिये गये हैं. इसी के मद्देनजर राज्य भर में इस खरीफ सीजन के दौरान 6,200 उर्वरक दुकानों की तलाशी ली गई और यूरिया संकट के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ 117 प्राथमिकी दर्ज की गई.
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