सरकार देश में पहली बार सेटेलाइट के जरिए बागवानी की खेती कराने की तैयारी कर रही है। इसी शुरुआत उत्तर-पूर्व के राज्यों से कर दी गई है। इस क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग तकनीक से मैपिंग कर किसानों को बताया जाएगा कि उनकी जमीन किस फसल के लिए सबसे अच्छी और किसके लिए बेकार है। इसमें मौजूदा फसल और खाली पड़ी दोनों तरह जमीन की मैपिंग की गई है। कृषि मंत्रालय इसकी रिपोर्ट अगले माह सरकार को सौंपेगा।
इस तकनीक की खासियत यह भी है कि मैपिंग से पूरे इलाके में फसलों में होने वाली बीमारी का पहले ही पता लगाया जा सकेगा। साथ ही पूरे देश में फसलों की पैदावार का सटीक आकलन किया जा सकेगा। किसानों को खाली जमीन और मौजूदा फसल दोनों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यानी किसान यदि खाली जमीन को बंजर समझ रहा है तो उसे पता लगेगा इस भूमि पर किसकी पैदावार मुमकिन है।
रिमोट सेंसिंग से खेती को इस तरह समझें...
सरकार ने उत्तर-पूर्व के 8 राज्यों के एक-एक जिले को चुना।
सभी जिलों की सेटेलाइट के जरिए की एक-एक खेत की फोटो ली गई।
इसमें 6 बागवानी फसलों की पहचान की, जिनकी पैदवार अधिक थी।
फोटो की मदद से तय पैरामीटरों के आधार पर खेतों की जांच की गई।
इसमें खेत की मिट्टी, मौसम, भूमि उपयोग, जलवायु, नमी, मिट्टी का स्लोप, फसल का आकलन किया।
यह भी देखा कि मिट्टी कैसी है और उसके अनुसार कितनी खाद की जरूरत पड़ेगी।
फिजिकल जांच के लिए स्पॉट सर्वे किया। मैपिंग में एक-एक किसान के खेत का खसरा नंबर भी डाला।
मैपिंग के बाद किसानों को रिपोर्ट देने के लिए चार कैटेगरी तय की गईं। उच्च उपयुक्त, औसत उपयुक्त, निम्न उपयुक्त और बेकार जमीन।
खसरा नंबर के आधार पर पहचान कर प्रत्येक किसान को बताया जाएगा कि उसकी खेत किस फसल के लिए सबसे अच्छे, किस फसल के लिए औसत है और किसके लिए बेकार हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया जाएगा कि किस फसल में कितनी खाद की जरूरत पड़ेगी।
किस फसल के लिए कैसी जमीन इसकी चार श्रेणियां। उदाहरण...
अंगूर (ख्वाबंग ब्लॉक, मिजोरम)
जमीन कैसी क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)
उच्च उपयुक्त 578.51
औसत उपयुक्त 4724.68
मध्यम उपयुक्त 7021.44
उपयुक्त नहीं 32.35
कुल क्षेत्रफल 12356.97
नॉर्थ ईस्ट के इन इलाकों में रिमोट सेंसिंग से खेती
पापुमपेयर (अरुणाचल) : संतरा
गोलपारा (असम) : केला
सेनापाती (मणिपुर) : अनानास
जैंटिया हिल्स (मेघालय) : हल्दी
चंफाई (मिजोरम) : अंगूर
नगालैंड (दीमापुर) : अनानास
बागवानी में रिमोट सेंसिंग भारत इकलौता देश
रिमोट सेंसिंग एक्सपर्ट डॉ. एचडी आत्री ने कहा कि बागवानी खेती में रिमोट सेसिंग का इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश है। अमेरिका, इग्लैंड, चीन, रूस भी इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं मगर सिर्फ शोध के लिए।
ऐसे होगी देशभर के किसानों की मदद
कृषि मंत्रालय मैपिंग रिपोर्ट राज्यों को सौंपेगा। राज्य सरकार कृषि विभाग की मदद से खसरा नंबर के आधार पर उन किसानों की पहचान करेगी, जो एक तरह की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी में दूसरी फसल उगा रहे हैं या फिर जमीन को बेकार समझकर फसल ही नहीं उगा रहे हैं। इसके बाद राज्य प्रपोजल बनाकर केन्द्र को भेजेंगे। केन्द्र राज्यों की मदद करेगा। इसमें बीज से लेकर फसल की कटाई तक की सहायता दी जाएगी।
पूरे देश में होगा रिमोट सेंसिंग सर्वे
कृषि मंत्रालय में रिमोट सेंसिंग सर्वे योजना की प्रभारी ममता सक्सेना के मुताबिक, यह सर्वे पूरे देश के बागवानी खेतों पर किया जाएगा। चूंकि रिमोट सेंसिंग तकनीक में समय अधिक लगता है। इस वजह से पहले बागवानी खेती को प्राथमिकता दी जा रही है। बागवानी में 163 फसलें हैं। फिलहाल प्रमुख फसलों की ही मैपिंग की जाएगी।
2014 से इस तकनीक का खेती के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया
महलानोबिस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर के निदेशक एवं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. शिबेन्दु एरे ने बताया कि सेटेलाइट तकनीक पहले से है, लेकिन इसका खेती के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया। फसलों में शोध आदि के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही तकनीक भी पहले से बेहतर हो गई है। 2014 से इस तकनीक का खेती के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया, इसके तीन साल बाद मैपिंग कर रिपोर्ट तैयार हुई है।
सूत्र : दैनिक भास्कर
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