बिहार सरकार ने किसानों को राहत देने का फैसला लिया है दरअसल कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत खरीफ सीजन 2021 में अतिवृष्टि के कारण प्रभावित किसानों को फसल की क्षति के लिए अनुदान दिए जाएंगे. बता दें इसका लाभ लेने के लिए किसान 5 से 20 नवम्बर तक कृषि विभाग, बिहार सरकार की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
प्रदेश के कृषिमंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस अनुदान योजना के तहत किसानों को उनके इलाके में बारिश और बाढ़ की सरकारी रिपोर्ट के आधार पर फायदा होगा. इस बाढ़ और ज्यादा बारीश से हुई फसल क्षति के लिए वर्षाश्रित (असिंचित) rainfed (non-irrigated) फसल क्षेत्र के लिए 6,800 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र irrigated area के लिए 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर तथा शाश्वत फसल (गन्ना सहित) Perpetual crop (including sugarcane)के लिए 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से कृषि इनपुट अनुदान (agricultural input grant)दिया जायेगा.
बागवानी फसलों के लिए किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग
धान और गेहूं की फसल किसानों के लिए अब घाटे का सौदा साबित होने लगी है. वास्तव में जितनी मेहनत और लागत इसमें लगती है उतना रिटर्न किसानों को नहीं मिलता है. आपको बता दें ज्यादातर किसान इसकी उपज MSP से भी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. ऐसे में सरकार उन्हें फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिसके लिए हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए बागवानी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
कृषि क्षेत्र में जलवायु अनुकूल कृषि के लिए स्पेश टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का किस तरह प्रयोग किया जा सकता है और साथी ही यह कैसे मदद गार साबित हो सकता है इससे संबधित कार्यशाला का ऑनलाइन आयोजन किया गया. जिसका उद्देश्य आने वाले समय में पर्यावरणीय मुद्दों, प्रबंधन रणनीतियों, टिकाऊ प्रथाओं पर बातचीत का आदान-प्रदान करना था.
कृषि के लिए 29 फीसदी बढ़ेगी पानी की मांग
जी-20 देशों पर जारी एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु रिपोर्ट में बताया गया कि अगर कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है. यदि ऐसा होता है तो 2050 तक कृषि के लिए पानी की मांग करीब 29 फीसदी बढ़ जाएगी. यानी अगले 30 साल में ही भारतीय कृषि के सामने बड़ा संकट आने वाला है.
कृषि वैज्ञानिकों की किसानों को खास सलाह
धान की खेती करने वाले किसान खेती को लगातार घाटे का सौदा बता रहे हैं. वहीं सिंचाई, बीज और खाद के बढ़ते दाम साथ ही फसलों को बेचने के लिए आसान और सुलभ साधन न होने के कारण उनकी परेशानी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर किसान बदलते समय के साथ परंपरागत खेती छोड़कर आधुनिक तकनीक से पपीते की व्यावसायिक खेती करें तो वे इसी खेती को मुनाफे का सौदा बना सकते हैं.
5 से 12 रुपये तक कम हुए प्याज के दाम
केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतों को स्थिर रखने के लिए बफर स्टॉक से 1.11 लाख टन प्याज जारी किया है. सरकार का दावा है कि इससे प्याज की खुदरा कीमतों में 5 से 12 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है. मंत्रालय के मुताबिक बफर स्टॉक का प्याज जारी कर सरकार प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली में एक बार फिर बढ़ा Air quality index
दीवाली की अगली सुबह देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण से बुरा हाल देखने को मिला. प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने पटाखों की बिक्री एवं इस्तेमाल पर रोक लगाई थी. हालांकि, दीवाली के दौरान कई जगहों पर आतिशबाजी देखी गई. जिस कारण दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 655.07 रहा.
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