लोकसभा चुनाव में भले कोई पार्टी जीते या हारे, लेकिन यह लगभग तय है कि किसानों के अच्छे दिन आने वाले हैं. दरअसल कृषि मंत्रालय एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने मिलकर नई सरकार के समक्ष रखने के लिए पहले ही एक सौ दिनों और पांच साल का विस्तृत एजेंडा लगभग तैयार कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो खेतीबाड़ी के विभिन्न मुद्दों पर मंत्रालय जहां अपनी प्राथमिकताएं तय कर रही है, वहीं पिछले पांच सालों के योजनाओं को भी रफ्तार देने की कोशिश कर रही है.
खबरों की माने तो बागवानी उत्पाद, मत्स्य खाद्यान्न, दालें, खाद्य तेल, और डेयरी उत्पादों की मांग को पूरा करने के अलावा आपूर्ति बढ़ाने की योजना पर काम किया जा रहा है. मसौदे में कृषि क्षेत्र की कमियों को दूर करने के साथ-साथ किसानों की आमदनी को अधिक से अधिक बढ़ाने पर जोर है.
इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालयों को कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ खाद्य प्रसंस्करण और उत्पादों की मार्केटिंग की जिम्मेदारी दी गई है। अच्छी बात यह है कि नीति आयोग ने भी इसी दिशा में पहल करते हुए अधिकारियों की ओर से बृहस्पतिवार को कृषि और खाद्य क्षेत्र पर प्रस्तुति लेने का फैसला किया है. मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बारे में बताया कि हमारी कोशिश है कि किसान भाईयों को अधिक से अधिक मुनाफा हो और इसलिए अगले पांच सालों के कार्यक्रम के साथ सरकार के समक्ष एक सौ दिनों की भी योजना पेश करने की योजना बनाई गई है.
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