इस बीच बढ़ती महंगाई ने लोगों को हताश कर दिया है. जहां एक तरफ पेट्रोल-डीज़ल के दामों में तेज़ी से वृद्धि (Hike in Petrol-Diesel Price) देखी गयी है. वहीं घरेलू काम की चीज़ों में भी उछाल आया है. ऐसे में देश के कई स्थानों पर भी किसानों को महंगाई की मार (Farmers Hit by Inflation) झेलनी पड़ रही है.
महंगाई से छूटे किसानों के पसीने (Hike in Agricultural Rates)
दरअसल, उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के महराजगंज क्षेत्र (Maharajganj, Uttar Pradesh) में किसानों को खेतीबाड़ी बहुत ही महंगी पड़ती दिख रही है. पेट्रोल के दाम बढ़ने से ट्रैक्टर संचालकों ने खेत की मड़ाई का दाम भी बढ़ा दिया है. इसके अलावा खेतीहार मजदूरों ने भी फसलों की बुवाई, जुताई व कटाई का रेट अधिक (Rate of sowing, plowing and harvesting of crops is high) कर दिया है. ऐसे में किसानों पर बढ़ती महंगाई की मार सीधा उनके जेब पर असर डाल रही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बढ़ती महंगाई ने किसानों की जेबों को ढीला करने पर मजबूर कर दिया है. इतना ही नहीं, बल्कि अब पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों में खेत में होने वाले खर्चे (Petrol-Diesel Price Hike Hits Agriculture Industry) को भी उतना ही बढ़ा दिया है.
खेत के कामों के लिए किसानों पर पड़ी दोगुनी मार (Double Hit on Farmers)
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसानों का कहना है कि जहां पिछले वर्ष उन्हें कंबाइन मशीन से कटाई (Combine Machine for Harvesting) की लागत 1500 रुपये प्रति एकड़ आती थी वहीं अब उन्हें 2000 रुपये प्रति एकड़ आ रही है. एक तरह से किसान को प्रति एकड़ 500 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है.
इसके अलावा किसानों का यह भी कहना है कि जहां भूसा मशीन (Straw Machine) पर प्रति ट्रॉली 1600 रुपये पड़ता था वहीं अब उन्हें प्रति ट्रॉली 2000 रुपये पड़ रहा है. यहां तक की रोटावेटर (Rotavator) से खेत की जुताई का दाम जहां 1200 था वहीं अब वो बढ़कर 1600 रुपये हो गया है.
इतना ही नहीं, कल्टीवेटर (Cultivator) से जुताई के लिए जहां किसानों को 800 रुपये प्रति एकड़ देना पड़ता था. वहीं अब उन्हें इसका 1200 रुपये प्रति एकड़ देना पड़ रहा है. साथ ही फसलों को खेतों से घर लाने के लिए भी लोगों ने किराये को 200 रुपये से 300 रुपये कर दिया है. यही सब कारण है, जिससे किसान बहुत परेशान हो रहे हैं.
खाद के दामों में भी उछाल (Increase Rates of Fertilizer)
एक तरफ जहां खाद की कीमतों (Fertilizer Rate 2022) ने भी उछाल मारा हुआ है. वहीं गेहूं की धुलाई ने भी किसानों का हाल बेहाल कर रखा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मार्च-अप्रैल का समय गेहूं की कटाई और धुलाई (Wheat Harvesting and Washing) का होता है. ऐसे में किसानों का कहना है कि गेहूं की धुलाई के लिए बीच उन्हें 200 रुपये से 400 रुपये देने पड़ रहे हैं.
खेतिहर मजदूर ढूंढ़ना हुआ मुश्किल (Difficult to Find Agricultural Laborers)
महराजगंज के कुछ किसानों का यह भी कहना है कि पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से ट्रैक्टर संचालकों के दाम तो बढ़ ही गए हैं, साथ ही किसानों को खेतिहार मजदूर ढूंढने में भी दिक्कत आ रही है.
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