सब्जियां
अगेती झुलसा से आलू की फसल को बचाने के लिए 7 दिन के अंतराल पर इंडोफिल एम-45/मास एम 45/मार्कजेब/एंट्राकोल/कवच @ 500-700 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी/मार्क कॉपर @ 750- 1000 ग्राम/एकड़ 250- 350 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. अगेती उपज प्राप्त करने के लिए ककड़ी की बुआई लो टनल तकनीक से की जा सकती है.
पशुपालक
दूध निकालने के बाद कभी भी दूध के थनों पर नहीं मलना चाहिए. घायल टीट्स के लिए नियमित रूप से टीट डिप्स (1:4 के अनुपात में ग्लिसरीन और आयोडीन) का प्रयोग करें. पशुओं में सूजन को रोकने के लिए बरसीम को गेहूं के भूसे जैसे सूखे चारे के साथ मिलाएं. कभी भी चावल की भूसी को अकेले न खिलाएं. इनके अलावा पशुओं को टिमपोल चूर्ण (50-60 ग्राम) या ब्लोटोसाइल (70-100 मिली) आवश्यकतानुसार दिया जा सकता है.
इन दिनों तापमान कम होने के कारण पोल्ट्री शेड के खिड़कियों पर पर्दा लगा दें और अमोनिया के जमाव से बचने के लिए धूप की तरफ खुला रखें. मुर्गियां देने के लिए शेड के अंदर का तापमान 75°F (24oC) से कम नहीं होना चाहिए. शेड में नमी का स्तर 65% पर बनाए रखने के लिए वाष्पीकरण के लिए गर्मी स्रोत के पास पानी का बर्तन रखें. कुक्कुट के राशन में प्रोटीन अधिक होना चाहिए. इसलिए राशन में सोयाबीन आदि बढ़ा दें. इसके सेवन से मुर्गियां गर्म रहेंगी.
हरियाणा के किसान अभी ही कर लें ये जरूरी कार्य
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों को शीत लहर की स्थिति से बचाने के लिए हल्की और बार-बार सिंचाई करें.
गेहूं- गेहूं की फसल में फालेरिस माइनर (Phalaris minor) के प्रभावी नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी की संस्तुत मात्रा का ही प्रयोग करें. यदि गेहूं की फसल में मैंगनीज की कमी के कारण पत्तियों का पीलापन दिखाई दे तो फसल पर मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव करें.
गन्ना- सर्दियों के महीनों में नियमित रूप से गन्ने की फसल में हल्की सिंचाई करें.
हिमाचल प्रदेश के किसान ध्यान दें
गेहूं- गेहूं में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए आइसोप्रोट्यूरोन (75WP) @ 70 ग्राम + 2,4D (80 WP) @ 50 ग्राम या क्लोडिनाफॉप @ 24 ग्राम (10WP) या 16 ग्राम (15 WP) प्रति कनाल के 35-40 दिनों के बाद छिड़काव करें. बुवाई यानी 2-3 पत्ती अवस्था क्लोडिनाफॉप स्प्रे के 2-3 दिनों के बाद, 2,4-डी @ 50 ग्राम / कनाल लागू करें. एक हेक्टेयर के लिए घोल बनाने के लिए 30 लीटर पानी का प्रयोग करें.
सेब- मृदा विश्लेषण के लिए मिट्टी के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला में भिजवाएं. नई पौधरोपण के लिए गड्ढे खोदते रहें. सेब की क्यारियां खोदकर जड़ भेदने वाले कीड़ों को इकट्ठा कर मार दें उसके बाद क्लोरपाइरीफॉस (20 ईसी) 500 मिली प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर सिंचाई करें.
भंडारित अनाज- संग्रहीत अनाज कीटों जैसे राइस वीविल, लेसर, ग्रेन बोरर और राइस मोथ के हमले के लिए मौसम अनुकूल है. अनाज की दुकान के डिब्बे में बिन के बीच में गीले कपड़े में सेल्हपोस (3 जी) या क्विकफॉस (12 ग्राम) या फ्यूमिनो पाउच का एक पाउच रखें और संग्रहीत अनाज के कीटों को नियंत्रित करने के लिए बिन को कुछ समय के लिए एयरटाइट रखें.
सरसों- सापेक्ष आर्द्रता को ध्यान में रखते हुए सफेद रतुआ के हमले से बचने के लिए किसानों को सरसों की फसल की निगरानी करने की सलाह दी जाती है. यदि संक्रमण अधिक हो तो डाइथेनएम-45 @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि सरसों की फसल में एफिड के हमले की निगरानी करें.
चाय- चाय के बाग में खरपतवार के नियंत्रण के लिए खरपतवार पर ग्लाइफोसेट @ 2.5 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
जम्मू-कश्मीर के किसान जल्दी करें ये काम
रबी की फसलें (भूरी सरसों, गेहूं, जई, मटर और मसूर)
सर्दियों के दौरान सरसों, गेहूं, पानी के ठहराव से बचने के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें.
चारा फसलें
सर्दियों के दौरान पानी के ठहराव से बचने के लिए खेतों में पर्याप्त जल निकासी चैनलों को बनाए रखना चाहिए.
केसर
सर्दियों के दौरान पानी के जमाव से बचने के लिए खेत में उचित जल निकासी नालियों का रखरखाव करें.
भेड़ और बकरी
गर्भवती भेड़ और बकरी को भीड़भाड़ से बचाएं. गर्भवती पशु का ईटीवी टीकाकरण सुनिश्चित करें. गर्भवती पशु को सांद्र आहार के साथ 30 से 50 ग्राम गुड़ प्रदान करें. मेमने के प्रदर्शन में सुधार के लिए 1 से 1.5 किलोग्राम सूखा चारा का उचित पोषण सुनिश्चित करें. पशुओं को पानी पिलाने के लिए बाहर ले जाएं. यह गर्भावस्था के विषाक्तता से बचने के लिए गर्भवती पशुओं के व्यायाम को सुनिश्चित करेगा. गर्भधारण विषाक्तता से बचने के लिए यदि संभव हो तो शलजम 200 से 300 ग्राम प्रति गर्भवती पशु को दें. हानिकारक गैसों के संचय से बचने के लिए पशु घरों/शेडों में उचित वेंटिलेशन प्रदान करें. पशुओं के शेड में और उसके आसपास स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखी जानी चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई जानकारी मौसम विभाग द्वारा अलग-अलग राज्यों के लिए जारी एग्रोमेट एडवाइजरी से ली गई है, ये सलाह मौजूदा वक्त के मौसम के मद्देनजर दी गई है.
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