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किसानों के मुद्दे और सरकार

2014 लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा ने तमाम बड़े-बड़े वादे किए थे. उन्हीं में से एक था 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना. हालांकि इन छह सालों में सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे यह लगे कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी. उल्टे समय-समय पर मोदी सरकार को किसानों का विरोध झेलना पड़ा है. इधर, कृषि कानून 2020 के खिलाफ अड़े किसान मानने को तैयार नहीं है और खुलेआम सरकार को दिल्ली बॉर्डर से चुनौती दे रहे हैं.

अभिषेक सिंह
Farmers Protest 2020
Farmers Protest 2020

2014 लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा ने तमाम बड़े-बड़े वादे किए थे. उन्हीं में से एक था 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना. हालांकि इन छह सालों में सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे यह लगे कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी. उल्टे समय-समय पर मोदी सरकार को किसानों का विरोध झेलना पड़ा है. इधर, कृषि कानून 2020 के खिलाफ अड़े किसान मानने को तैयार नहीं है और खुलेआम सरकार को दिल्ली बॉर्डर से चुनौती दे रहे हैं.

पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से दिल्ली बॉर्डर पर एकजुट किसान सरकार से कृषि कानून 2020 को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कृषि कानून 2020 काला कानून है.  इससे कृषि के निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही जमाखोरों और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा और किसी किसान से उसकी फसल औने पौने दाम पर खरीदी जाएगी. इसीलिए कॉरपोरेट घरानों की खरीद पर भी MSP तय की जाए.

यह पहली बार नहीं है जब किसान मोदी सरकार से किसानों के हित को लेकर दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. इससे पहले 2017 में तमिलनाडु के सैकड़ों किसानों ने कर्ज माफी को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था. उस वक्त सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए नरमुंड गले में डालकर, सिर मुंडवाकर, मरे हुए सांप और जिंदा चूहे को मुंह में दबाकर विरोध दर्ज करवाया. इसके बावजूद सरकार ने उनकी एक न सुनी. अंतत: किसानों को अपने राज्य लौटना पड़ा.

मंदसौर घटना

बात सिर्फ यहीं तक खत्म हो जाती तो ठीक थी, लेकिन हद तो तब हो गई, जब किसानों की हितैषी बताने वाली शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंदसौर में निहत्थे किसानों पर मध्य प्रदेश पुलिस ने फायरिंग कर दी. इसमें छह किसानों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए. इस कार्रवाई को लेकर सभी आक्रोश में थे. अगले दिन तमाम अखबारों ने बड़े ही प्रमुखता से इस खबर को छापी थी. साथ ही देश और विदेश में रहने वाले कई लोगों ने इस कार्रवाई की निंदा भी की.

नासिक से मुंबई किसानों का पैदल मार्च

साल 2018 में एक बार फिर किसानों का आक्रोश देखने को मिला था. तब नासिक से मुंबई तक किसानों का विशाल मार्च हुआ था. हालांकि उस वक्त मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस किसानों को समझाने में कामयाब हुए थे, लेकिन इसके 11 महीने बाद ही किसानों ने फिर से मार्च निकाला. तब पुलिस ने कई किसानों को हिरासत में ले लिया.

कृषि कानून पर सरकार का क्या कहना है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कृषि कानून 2020 पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं. इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं. वहीं, भाजपा के अन्य नेता विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस के घोषणापत्र में कृषि कानून में संशोधन की बात कही गई थी.

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष की राय क्या है?

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष हमेशा से ही मोदी सरकार पर हमलावर है. राहुल गांधी यहां तक कहते आए हैं कि मोदी सरकार अरबपतियों के कर्ज माफ कर देती है, लेकिन किसान का कर्ज माफ नहीं करती है. किसानों पर पुलिस की लाठियां और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के बाद शनिवार को राहुल ने फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था, लेकिन आज PM मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के खिलाफ खड़ा कर दिया.

English Summary: Farmers Protest over Farm Act 2020 Against Modi Government Published on: 30 November 2020, 11:52 AM IST

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