देश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एरोमा मिशन जल्द ही शुरू किया जाएगा | सीएसआईआर द्वारा किसान हित में शुरू किए गए इस मिशन को प्रधानमंत्री कार्यालय से हरीझंडी मिल चुकी है | एरोमा मिशन के तहत किसानों को सगंध और औषधीय गुण वाले पौधों की खेती के लिए बीज, तकनिकी और बाजार मुहैया कराए जाएंगे |
करीब 72 करोड़ रुपये से तीन साल में देश में 5000-6000 हेक्टेयर में किसानों को फायदा देने वाली खेती होगी। ‘एरोमा मिशन’ को ग्रामीण भारत के लिए बहुत खास बताते हुए सीमैप के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि, “सगंध और औषधीय खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है। उन्हें कम क्षेत्र, कम लागत में ज्यादा लाभ मिल रहा है वो ऐसी जमीन (ऊसर-बंजर) पर भी खेती कर पा रहे हैं, जिस पर खेती संभव नहीं थी।
यूपी के बुंदेलखंड, महाराष्ट्र के विदर्भ, गुजरात के कच्छ और तमिलनाडु के सुनामी प्रभावित क्षेत्र में किसानों का जीवन स्तर सुधारने के लिए उन्हें गुलाब, गेंदा समेत फूल और लेमनग्रास, पामरोजा, खस आदि की खेती सिखाई जाएगी। जैसे यूपी में मिंट (मेंथा) ने क्रांति की है वैसे की दूसरी फसलों में किया जा सकते है, जो एरोमा के तहत होगा।” वो आगे बताते हैं, “देश की एरोमा इंडस्ट्री सीएसआईआर की बदौलत खड़ी है। इसे और ज्यादा मजबूती और किसानों को फायदे के लिए देश के अलग-अलग इलाकों में फूलों और औषधीय खेती को बढ़ावा, तकनीकि स्थानंतरण, पौध और बीज आदि उपलब्ध कराए जाएंगे। विदेशों में हमारे उत्पादों की खासी मांग है, जिससे देश में किसानों के लिए असीम संभावनाएं हैं।”
उत्तर प्रदेश में मिंट (मेंथा) की बदौलत करीब तीन लाख किसानों की आमदनी बढ़ाने का दावा करनी वाली सीमैप संस्था इस दिशा में लगातार शोध कर नई किस्में विकसित भी करती है।
बुंदेलखंड में लेमनग्रास
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में पानी की कमी और छुट्टा पशुओं की समस्या को देखते हुए 50-60 एकड़ लेमन ग्रास लगाई गई, आऩे वाले दिनों में इसका रबका और बढ़ेगा। इसे पशु नहीं खाते और कम पानी की जरुरत होती है।
महाराष्ट्र का विदर्भ
सूखे से जूझ रहे महाराष्ट्र में विदर्भ के किसानों को लेमनग्रास और खस की खेती कराई गई। लखनऊ से वैज्ञानिक आसवन यूनिट भेजकर उत्पादन करवाया गया। यहां 100 एकड़ से रकबा इस बार कई गुना बढ़ सकता है।
कच्छ के खारे पानी में भी होगी फूल और औषधीय खेती
गुजरात के कच्छ में खारा पानी है। इसलिए वहां ऐरोमैटिक पौधो की खेती को करवाई जा रही है। वहां के किसान और कारोबारी चाहते हैं कि यूपी की मिंट की तरह वहां लेमनग्रास और पामरोजा की खेती क्रांतिकारी रुप में हो। इसी तरह उड़ीसा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी गांव-गांव जाकर लोगों को ऐसे खेती के फायदे गिनाए जा रहे हैं।
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