Padma Shri Award 2024: पद्मश्री पुरस्कार विभूतियों के नामों का ऐलान हो चुका है, जहां विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाले गुमनाम हस्तियों का चयन किया गया है. इन विभूतियों में देश के 6 किसान भी शामिल है, जिन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. जहां एक ओर कर्नाटक के किसान सत्यनारायण बेलेरी को कृषि क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा. वहीं, सिक्किम के जॉर्डन लेप्चा को बांस की शिल्पकारी के अद्भुत कार्य के लिय यह सम्मान मिला है. इसके अलावा दक्षिण अंडमान में रहने वाली चेलाम्मल, आसाम के किसान सरबेश्वर बसुमतारी , गोवा के किसान संजय अनंत पाटिल और अरुणाचल प्रदेश की किसान यानुंग जमोह लेगो का नाम भी पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सूची में शामिल है. आइए आपको बताते हैं की ये दोनों किसान कौन हैं और इन्हें पद्मश्री सम्मान क्यों मिला है.
पारंपरिक फसलों का संरक्षण कर रहे सत्यनारायण
कर्नाटक के गांव कासरगोड में रहने वाले किसान सत्यनारायण बेलेरी को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. सत्यनारायण बेलेरी किसानी के क्षेत्र में पारंपरिक धान फसल और उनके बीजों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हैं. उनके पास राजकयमा नामक एक ऐसी फसल है, जिसे कम पानी की आवश्यकता होती है. उन्होंने पॉलीबैग में एक नवीनतम तकनीक का उपयोग करके अपनी विधि विकसित की है. वर्तमान में, वे प्रमुख रूप से केरल और कर्नाटक क्षेत्र में 650 से अधिक पारंपरिक फसलों के संरक्षण का काम कर रहे हैं.
धान के साथ-साथ उन्होंने सुपारी, जायफल, काली मिर्च और जैक जैसी महत्वपूर्ण पारंपरिक फसलों का भी संरक्षण किया है. इसके अलावा, वे एक मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ भी हैं और पौधों की ग्राफ्टिंग और कलिकायन में निपुणता रखते हैं. इस तरह, सत्यनारायण ईमानदारी के साथ बीज विरासत को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, वह भी बिना किसी मौद्रिक रिटर्न के. खेती में अपने इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं.
बांस पर अद्भुत शिल्पकारी करते हैं जॉर्डन लेप्चा
पद्मश्री सम्मान के लिए सिक्किम के 50 वर्षीय किसान जॉर्डन लेप्चा को भी चुना गया है. उन्हें बांस की शिल्पकारी के अद्भुत कार्य के संदर्भ में इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. जॉर्डन लेप्चा बांस से अनेक प्रकार की टोपियों को बनाने की कला रखते हैं. वे सिक्किम के शहर मंगन के निवासी हैं, जो राज्य के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है. 25 साल से अधिक समय से, जॉर्डन लेप्चा ने पारंपरिक लेप्चा बुनाई और खण्डहर शिल्प संरक्षण की कोशिश की है. उन्होंने एक प्रशिक्षक की भूमिका निभाते हुए, 150 से अधिक युवाओं को इन कौशलों की शिक्षा दी है.
खास बात है कि आज इनमें से अधिकतर खुद के बांस शिल्प स्थापित करके अपना घर चलाते हैं. एक किसान और कारपेंटर का काम करने वाले जॉर्डन के अथक प्रयासों से सिक्किम में अधिकतर युवा इस कार्य के जरिए अपना पेट पाल रहे हैं. बता दें कि भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल के अलावा पूर्वी नेपाल, पश्चिमी भूटान और तिब्बत में भी लेप्चा समुदाय के निवासी रहते हैं. लेप्चा भारत की प्रमुख जनजातियों में से एक है. सिक्किम में इस समुदाय के लोग बांस पर मुख्य रूप से कारीगरी कर अपना घर चलाते हैं.
नारियल अम्मा को मिला पद्मश्री सम्मान
साल 2024 के लिए पद्म श्री सम्मान के विजेताओं की सूची में दक्षिण अंडमान में रहने वाली के चेलाम्मल का नाम भी शामिल है. नारियल अम्मा के नाम से मशहूर 69 साल की के चेलाम्मल 10 एकड़ की जमीन में खेती करती हैं. वह जैविक कृषि के जरिए वह लौंग, अदरक, अनानास और केले की खेती करती हैं. वह 150 से ज्यादा किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रेरित भी कर चुकी हैं और उनकी वजह से ये सभी किसान अब जैविक कृषि कर रहे हैं. उन्हे उनके नवाचार भी बखूबी पहचाना जाता है. उन्होंने कई ऐसे तरीके विकसित किए हैं, जिनसे आसानी से नारियल की खेती की जा सकती है. इसमें लागत भी कम है और पेड़ों को नुकसान से बचाने में भी आसानी होती है.
नारियल अम्मा ने नवीनतम और सस्ते समाधानों को तैयार किया है, जिससे नारियल और ताड़ के पेड़ के नुकसान को नियंत्रित किया जा सकता है. नारियल अम्मा के पास प्रति वर्ष 27,000 से अधिक नारियल का उत्पादन होता है और वह दो हेक्टेयर जमीन में नारियल के बागान की खेती करती हैं. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने नारियल और ताड़ के पेड़ों के नुकसान से बचने के प्रभावी और सस्ते तरीके खोजे हैं, जो आम लोगों के लिए काफी मुश्किल था.
इन किसानों को भी मिला पद्मश्री सम्मान
आसाम के 61 वर्षीय किसान सरबेश्वर बसुमतारी को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है. वह मिक्स्ड इंटिग्रेटेड फार्मिंग से नारियल, संतरे,लीची जैसे फसलों की खेती की हैं. इस अनोखे रूप से की गई खेती के लिए उन्हें पद्मश्री दिया जा रहा है.
वहीं, अरुणाचल प्रदेश की किसान यानुंग जमोह लेगो का नाम भी पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सूची में शामिल है. सुश्री यानुंग जामोह लेगो एक आदिवासी हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं - जिन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित किया. कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. इन सब के अलावा, गोवा के किसान संजय अनंत पाटिल को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है.
Share your comments