सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना से बाहर निकालने की मांग को लेकर हरियाणा में किसान पिछले आठ दिनों से सड़क पर संघर्ष कर रहे थे. आखिरकार राज्य सरकार ने अब उनकी सारी बातें मान ली हैं. इसका मतलब है कि सरकार गिरफ्तार हुए सभी किसान नेताओं को भी अब रिहा कर देगी. इसके साथ ही सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना से बाहर भी निकाला जाएगा.
किसानों की थी यह मांग
बता दें कि किसान एमएसपी की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ कुरुक्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने सोमवार को कुरुक्षेत्र के पीपली में स्थित अनाज मंडी में बड़ी रैली का आयोजन किया था. जिसमें 'एमएसपी दिलाओ किसान बचाओ' का नारा लगाया गया. वहीं, मांगे पूरी नहीं होने पर किसानों ने सोमवार दोपहर से जीटी रोड भी जाम कर दिया. जिससे आवागमन लंबे समय तक बाधित रहा. भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार को घुटने टेकने पड़े और किसानों की सारी बात माननी पड़ी. अब किसानों और राज्य सरकार के बीच समझौता हो गया है. इसलिए, अब किसान अपना धरना खत्म कर देंगे.
जानें कितना मिलेगा दाम
अब राज्य में सूरजमुखी की बिक्री 5000 हजार रुपये में होगी. वहीं, राज्य सरकार भावांतर योजना के तहत किसानों को अतिरिक्त 1400 रुपये देगी. इसका मतलब है हरियाणा में सूरजमुखी के लिए कृषकों को कुल 6400 रुपये मिलेंगे. बता दें कि आठ सदस्यों की बनी कमेटी के साथ मीटिंग के बाद किसानों की मांगों को माना गया. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी सहित अन्य नेताओं को आज रिहा किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें- भावांतर भरपाई योजना को लेकर दूसरे दिन किसानों का आंदोलन जारी, जानें क्या है पूरा मामला
इसलिए गुस्से में थे किसान
सूरजमुखी को भी भावांतर भरपाई योजना में 30 मई, 2023 को शामिल किया गया था. जिसके बाद किसानों ने आपत्ति जाहीर की. साथ ही उन्होंने सूरजमुखी को इस योजना से बाहर निकालने की मांग की. किसानों का कहना था कि उन्हें भावांतर नहीं बल्कि एमएसपी चाहिए. लेकिन छह दिन बाद भी सरकार की तरफ कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. जिसके बाद किसान भड़क गए और 6 जून को कुरुक्षेत्र में जीटी रोड को जाम कर दिया.
ऐसे होता घाटा
दरअसल, हरियाणा में सूरजमुखी का एमएसपी 6400 रुपये है. वहीं, बाजार में मुश्किल से इसका भाव 4000 से 4200 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल पाता है. इसी बीच, सरकार ने इसे भावांतर योजना में शामिल कर दिया. जिसके तहत किसानों को सरकार की तरफ से अतिरिक्त 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक की मदद मिलती. ऐसे में किसानों को एमएसपी के हिसाब से 1200-1400 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा होता.
Share your comments