पंजाब के किसान द्वारा तैयार कि गई यह मशीन एक दिन में 100 एकड़ तक पीनरी बीज सकता है. इससे खेती में मजदूरों की पड़ने वाली जरूरतों को कम किया जा सकता है.देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की वजह से श्रमिक अपने-अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं. इससे मौजूदा धान के सीजन की बुवाई में असर पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है. इसी को देखते हुए पंजाब के कपूरथला गांव के नानो मल्लियां के किसान ने धान बीजने (रोपाई) का एक देसी जुगाड़ तैयार किया है. किसान का दावा है कि इस जुगाड़ से 100 एकड़ जमीन में बिना लेबर के ही धान की पनीरी मैट पर बीजना संभव है. किसान का यह भी मानना है कि अगर यह देसी जुगाड़ा का प्रयोग सफल रहा तो प्रदेश से लेबर की किल्लत की परेशानी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. किसान के इस अनोखे जुगाड़ ने कपूरथला के कृषि अधकारीयों को भी हैरान कर दिया. किसान के अनुसार, यह पनीरी मैट पर बीजी जाती है, जिसे खेत में केवल पेडी ट्रांसप्लांटर से ही कम लेबर से भी रोपा जा सकता है लेकिन यह पनीरी मजदूर नहीं बीज सकेंगे.
किसान ने बताया कि इस मशीन को एक समय में पांच कामों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है और यह ट्रैक्टर के साथ लगाकर चलती है. इसके द्वारा कार्य को ऐसे किया जाता है जैसे भाव प्लास्टिक की शीट को बिछाना, उसके बाद छानी हुई मिट्टी को शीट पर अच्छे से डालना. मिट्टी को पानी के साथ गीला करना जिससे आसानी से बीज के लिए बेड को तैयार किया जा सके, उसके बाद बैड पर बीज डालना और आखीर में बैड पर पड़े बीज को हल्की मिट्टी की परत के साथ ढ़कना. इस मशीन की क्षमता की अगर बात करें तो इससे 100 एकड़ में मैट वाली पनीरी एक दिन में बीजी जा सकती है. इसमें किसानों की तरफ से कुछ ही चीज़ों का इंतज़ाम करना पड़ता है जैसे छनी हुई मिट्टी, बीज और लेबर जिसके बाद सिर्फ पांच मजदूरों की मदद से ही 100 एकड़ तक पीनरी बीजी जा सकती है.
विभाग के डायरेक्टर को दी गई जानकारी
किसान का कहना है कि उसने वर्ष 2009 में पहली बार धान लगाने की मशीन खरीदी थी. उसके बाद से ही किसान पीनरी बीजने के काम को आसान बनाने के बारे में सोचता रहता था. इसी लगन और मेहनत के साथ उसने दो साल में मशीन को मोडीफाइड किया है. वहीं लॉकडाउन में मिले समय का पूरी तरह से उपयोग करके अब इस मशीन को पूरी तरह से कामयाब कर लिया है.
मुख्य कृषि अधिकारी नाजर सिंह ने मशीन को देखते हुए कहा कि इससे मैट टाइप पीनरी बीजने का काम काफी आसान दिखाई दे रहा है और आगे उम्मीद है कि इससे लेबर की समस्या कम आयेगी. वहीं देखा जाए तो मशीन तैयार करन वाले जगतार सिंह ने अब तक इससे लगभग 24 किसानों की 450 एकड़ के लिए धान की पनीरी बीज चुका है. बता दें कि कृषि विभाग इसकी मशीन को पीएयू से प्रमाणित करवाने के लिए विभाग के डायरेक्टर को लिखकर भेजने की तैयारी में जुट गया है.
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