दो साल पहले मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने प्याज किसानों को उनकी फसल के उचित दाम दिलाने के लिए प्याज भावांतर योजना शुरू की थी. इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने प्याज की खरीददारी की थी. इंदौर जिले के 7 हजार किसानों को इस योजना के 30 करोड़ रुपये दो साल बाद भी नहीं मिल पाए हैं. इस बारे में किसानों का कहना हैं कि वे पिछले दो सालों से अपने बकाया भुगतान के लिए मंडी से लेकर उद्यानिकी विभाग के अफसरों के पास कई बार जा चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें भुगतान हुआ है. वहीं अधिकारियों की तरफ से अभी तक कोई ठोस और स्पष्ट जवाब नहीं मिला है.
800 रुपये क्विंटल के हिसाब से खरीदी
गौरतलब है कि राज्य में इंदौर समेत कई जिलों में प्याज की खेती बड़े पैमाने पर होती है. जब प्याज की पैदावार कम होती है तब तो किसानों को प्याज की फसल का अच्छा दाम मिल जाता है लेकिन जब पैदावार अधिक होती है तब प्याज के भाव काफी कम हो जाते हैं. कई बार तो प्याज 2 रुपये किलो तक हो जाते हैं जिससे प्याज किसानों की लागत भी नहीं निकल पाती है. इस वजह से प्रदेश सरकार ने भावांतर योजना शुरू की थी, जिसके तहत राज्य सरकार ने 800 रुपये क्विंटल के भाव तय किये थे. यदि किसानों का प्याज इससे कम बिकता है तो उन किसानों के नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करेगी.
मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन
भारतीय किसान एवं मजदूर सेना का कहना है कि किसानों को उनका हक़ दिलाने के लिए मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है. यह योजना राज्य में किसानों के लिए शुरू की गई थी, लेकिन कई व्यापारियों ने भी योजना के तहत अपना प्याज बेच दिया. जिससे किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया. वहीं जिन किसानों ने अपना प्याज कम कीमत पर बेचा उन्हें दो साल भी इस योजना का पैसा नहीं मिल पाया है.
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