
माकड़ी विकासखंड में 30 अप्रैल को एक भावुक क्षण देखने को मिला, जब महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी शिप्रा त्रिपाठी के सेवानिवृत्त होने पर ग्राम पंचायत, जनप्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों और ग्रामीणों ने उन्हें सादर विदाई दी. यह कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिक विदाई नहीं था, बल्कि उनके ईमानदार कार्य, जनसेवा और करुणामयी व्यवहार के प्रति जनता की कृतज्ञता का प्रतीक बना.
सरपंच रुक्मणी पोयाम, पूर्व जनपद सदस्य लक्ष्मी पोयाम, वरिष्ठ समाजसेवी रामकुमार, प्राचार्य रमेश प्रधान और पार्षद मनीष श्रीवास्तव समेत अन्य वक्ताओं ने कहा कि "शिप्रा त्रिपाठी जैसी अधिकारी अब बहुत कम देखने को मिलती हैं."
कार्यक्रम में उन्हें शॉल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र और विशेष स्मृति-चिन्ह भेंट किए गए. प्राचार्य रमेश प्रधान ने आभार व्यक्त किया. बता दें कि 5 मई को विभागीय कर्मचारियों की ओर से शिप्रा त्रिपाठी के लिए एक और विशेष विदाई समारोह आयोजित किया जाएगा. यह उनके प्रति सहकर्मियों का सम्मान और स्नेह दर्शाता है. त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा, "यह सम्मान मेरे लिए किसी पद से बड़ा है. माकड़ी में कार्य करना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही." उनकी सेवा यात्रा में भानुप्रतापपुर, किलेपाल, दरभा और बीजापुर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी उन्होंने बिना संसाधनों के सिर्फ संकल्प के बल पर काम किया. एक समय उन्हें जिले की सर्वश्रेष्ठ पर्यवेक्षक का पुरस्कार भी 26 जनवरी को प्रदान किया गया था.

तीन विषयों में एम.ए. और संगीत में विशेष योग्यता के बावजूद वे हमेशा सरल, विनम्र और जन-संवेदनशील बनी रहीं. शिप्रा त्रिपाठी भले ही सेवा से सेवानिवृत्त हुई हों, लेकिन जनता के दिलों में उनकी जगह बनी रहेगी. यह विदाई नहीं, उनके कर्तव्य, करुणा और कर्म की सच्ची वंदना थी.
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