भारत में पत्तों को आदि काल से डिस्पोसलस प्लेट्स की तरह उपयोग किया जाता रहा है. चीजों को ढ़कने, लपेटने या सुरक्षित रखने के लिए भी पप्राचीन काल से इसका उपयोग होता आ रहा है. हालांकि, बदलते हुए समय के साथ हम अपनी संस्कृति से दूर हो गए हैं और प्राय अब ऐसा देखा जाता है कि इन कामों के लिए लोग प्लास्टिक का उपोयग होने लगा है. जिसके परिणामस्वरूप एक तरफ लोगों की सेहत खराब होती जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ वातावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है.
यही कारण है कि भारत सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के बाद से एक ही बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक्स पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. जिसके बाद डिस्पोसलस प्लेट्स और पैकिंग वस्तुओं के स्थान पर केले के पत्तों का उपयोग एक बार फिर बढ़ने लगा है. अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम और नागालैंड समेत कई राज्यों में पत्तों से जुड़े कारोबार को गति मिली है. सिंगल यूज प्लास्टिक के समाप्त होने के बाद अब यहां लोग केले के पत्तों का प्रयोग करने लगें हैं.
सरकार दे सकती है खुशखबरीः
सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने के बाद केले के पत्तों के व्यापार पर सरकार कुछ अच्छे कदम उठा सकती है. इस बारे में बीजेपी सचिव एवं भारत के गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले ही संकेत दे दिये हैं. अपने एक ट्वीट में किरेन रिजिजू ने कहा कि " पीएम मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसलिये हम प्राकृतिक पत्तों के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं."
केले के पत्तों से होगा ये फायदाः
प्लास्टिक की जगह अगर केले के पत्तों को सरकार बढ़ावा देती है तो इससे किसानों का फायदा होगा. वहीं पत्तों से जुड़े कारोबारों को भी बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण को साफ रखने में सहायता मिलेगी.
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