भले ही रबी की फसलों के लिए सर्द मौसम और ओस की बूंदे फायदे का सौदा होती है लेकिन किचन का स्वाद बढ़ाने वाली पान मैथी की फसल सर्द हवाओं के थपेड़े से रंग बदलना शुरू कर चुकी है। इसका नतीजा यह हुआ कि धनतेरस के मौके पर पहली फसल का भाव जहां 80 से 90 रूपये प्रतिकिलो मिला था वो अब मात्र तीन दिन में गिरकर 30-35 रूपये प्रतिकिलो पर आ गया है। इसने बढ़ती सर्दी और ओस के चलते पान मैथी की बुवाई करने वाले किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। जानकार किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष चटख धूप से शानदार रंग के साथ पान मैथी ने आकार ले लिया था तब इसके भाव 90 से 125 रूपए प्रतिकिलो तक मिले थे। लेकिन इस बार हालात यह है कि किसानों को इसके ठीक दाम नहीं मिल रहे है।
किसानों में निराशा
दधवाड़ा समेत आसपास के दर्जनों गांवों में किसान नागौर की प्रसिद्ध पान मैथी की बुवाई करते है। इसकी पहली फसल धनतेरस से पहले ली गई है। उस समय पर किसानों को अपनी फसलों के लिए सही रूप से दाम मिले थे लेकिन मौसम सर्द होने और अलसुबह ओले पड़ने से पान मैथी को पर्याप्त धूप नहीं मिल पा रही है। अत्यधिक नमी के कारण नागौरी पान मैथी का रंग भी फीका पड़ गया है और नमी झेल रही इस फसल के भाव आधे से अधिक गिर गए है। किसान प्रेमाराम सारण ने बताया कि इस बार ग्राम पंचायत दधवाड़ा के क्षेत्र में नागौरी मैथी की बंपर बुवाई की गई है और साथ ही तुड़ाई का कार्य भी इन दिनों काफी तेजी से चल रहा है और यह फसल नमी भी नहीं झेल पा रही है। पान मैथी के रंग के फीका हो जाने से किसानों में इस साल काफी निराशा भी देखने को मिल रही है।
चटक धूप से मिलेगी पान मैथी को राहत
जानकार किसानों के अनुसार यदि मौसम लगातार सर्द रहा और ओस की वजह से नमी रही तो फिर पान मैथी के भाव ऊपर आने मुश्किल है। किसानों ने माना कि लगातार सर्दी बढ़ने से पान मैथी के भाव गिरेंगे और मौसम चटख रहा तो खेतों में सूख रही पान मैथी का रंग भी अच्छा आएगा और फिर दाम भी बढ़ेंगे।
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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