देश में दूध उद्योग पिछले कुछ सालों में अच्छी स्थिति में पहुंचा है बावजूद इसके अभी भी यह क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा है. देश की साख निर्धारक एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार देश का डेयरी क्षेत्र स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के अधिक भंडार और दूध के कम दाम के दबाव से जूझ रहा है. यह स्थिति तब तक बनी रह सकती है जब तक की केसिन और एसएमपी की वैश्विक बाजार मांग फिर से नहीं बढ़ जाती है.
एजेंसी के अनुसार दूध किसानों को सब्सिडी की पेशकश और कुछ श्रेणियों को माल और सेवा कर (जीएसटी) से छूट के हालिया नीतिगत उपाय से इस क्षेत्र को मामूली राहत मिलेगी. वित्तवर्ष 2013 से 2018 के दौरान देश में दूध उत्पादन सालाना 5.90 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि यह वित्त वर्ष 2018-19 में बढ़कर 18.6 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा. मांग में सीमित वृद्धि के कारण, उद्योग जगत को इस जल्द खराब होने वाले पेय पदार्थ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में व्यापार-से-व्यापार मंच पर बेचे जाने के लिए एसएमपी में परिर्वितत करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'इससे एसएमपी स्टॉक की भरमार हो गई है, जिससे कुछ राज्यों में खरीद की कीमतों पर भी असर दिखाई दे रहा है.‘
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