यदि आप चाहते हैं कि जंगली जानवरों से आपकी फसल सुरक्षित रहे तो इसके लिए हम वैज्ञानिकों की एक सलाह लेकर आए हैं. किसान भाइयों यह प्रायोगिक तौर पर बिल्कुल सिद्ध है. यानिकि वैज्ञानिकों का मानना है कि फसल सुरक्षा के लिए यह काफी कारगर है और प्रयोग के बाद किसानों को इस सलाह के अनुसार अपनी फसल बचाने का तरीका बताया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र, कोटवा के द्वारा पूरे जिले में इस प्रयोग को करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आर. के सिंह ने बताया कि यदि खेत में मेड़ों पर अरहर उगाया जाए तो फिर आप अपनी फसल को नीलगाय आदि जंगली जानवरों से बचा सकते है. उन्होंने बताया कि आजमगढ़ जिले में लगभग 9,000 हैक्टेयर में यह प्रयोग किया जा रहा है. जिले में भूजल दोहन में कमी आई है. मेड़ विधि द्वारा अरहर की बुवाई करने से दलहन के मूल्य पर काबू करने में काफी मदद मिलती है. किसानों को बड़े स्तर पर यह कार्य करने के लिए कहा जा रहा है जिसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
किसानों को प्रशिक्षण (Training to farmers)
कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस दौरान किसानों के साथ सीधे वार्ता कर वैज्ञानिकों ने किसानों को अरहर की मेड़ विधि द्वारा फसल को बचाने एवं अन्य फायदों के बारे में बताया.
अरहर से क्या फायदे हो सकते हैं (What are the benefits of tur)
सिंह के अनुसार अरहर को मेड़ पर उगाने से जंगली जानवरों से छुटकारा के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता कायम रखने में सहायता मिलती है. इस प्रकार मूसला जड़ से उर्वरता बरकरार रहती है साथ ही जमीन की नीची परत को तोड़कर वर्षा का जल संरक्षण करने में मदद मिलती है.
इसके अतिरिक्त मेड़ पर अरहर बुवाई करने से पौधों की निर्धारित संख्या प्राप्त होती है. यदि वर्षा अधिक होती है तो नालियों द्वारा पानी बाहर निकल जाता है. तो वहीं कम बारिश होने पर नालियों में पानी को संरक्षित किया जा सकता है.
कैसे करें अरहर की बुवाई (How to sow Arhar)
उनके अनुसार मेड़ से मेड़ की दूरी 60 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी. रखने से सभी पौधों को समान रूप से प्रकाश एवं वायु मिलती है जिससे उपज में 42 से 53 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है.
खरपतवार नियंत्रण (Weed control)
अरहर में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए इमेजाथापर ( 10 एस.एल) 1 लिटर को 500 लिटर पानी के साथ ( 2 मिली. द्वा/ लि. पानी) मिलाकर बुवाई के 25-30 दिन पर स्प्रे करें.
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