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दलहन में फसल प्रबंधन: लोबिया में पीला मोजेक रोग बर्बाद कर सकता है पूरी खेती, बचाने का ये है तरीका

दलहनी फसलों की खेती के अंतर्गत आने वाली लोबिया को भारत में कई जगह चौला के नाम से भी जाना जाता है. लोबिया एक ऐसी दलहनी फसल है जिसका इस्तेमाल हमारे खाने के साथ पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है. कई किसान इसके पौधों को पकने से पहले ही खेत में जोतकर बाकी फसलों के लिए हरी खाद भी तैयार करते हैं.

सुधा पाल
Lobiya Cultivation
Lobiya Cultivation

दलहनी फसलों की खेती के अंतर्गत आने वाली लोबिया को भारत में कई जगह चौला के नाम से भी जाना जाता है. लोबिया एक ऐसी दलहनी फसल है जिसका इस्तेमाल हमारे खाने के साथ पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है. कई किसान इसके पौधों को पकने से पहले ही खेत में जोतकर बाकी फसलों के लिए हरी खाद भी तैयार करते हैं. 

भारत में लोबिया की खेती की बात करें तो तमिलनाडु, राजस्थान, केरल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक के साथ उत्तर प्रदेश के किसान इसकी बुवाई करते हैं. इस फसल बुवाई में किसानों को कई तरह की दिक्कतें आती हैं, जैसे फसल सुरक्षा संबंधी समस्याएं. लोबिया की खेती में लगने वाले प्रमुख रोगों की बात करें तो इसमें पीला मोजेक रोग शामिल है जो सफेद मक्खी की वजह से फैलता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस रोग के लक्षण क्या हैं और किसान अपनी फसल को कैसे इससे बचा सकते हैं.

मोजेक रोग के लक्षण (Symptoms of mosaic disease)

लक्षण के तौर पर पत्तियों पर पीले और हल्के धब्बे आपको दिखाई देंगे. ऐसे में अगर किसान की फसल में पत्तियां पीली पड़ती हैं, तो समझ जाएं कि पौधों में पीलापन मोजेक बीमारी की वजह से ही हुआ है. इस रोग की वजह से पौधों का विकास नहीं हो पता है. इसके साथ ही उनमें सिकुड़न, ऐंठन भी दिखाई देने लगती है.

विषाणु जनित यह बीमारी उस समय तो ज्यादा असरदार नहीं है, जब बारिश का समय हो, लेकिन अगर बारिश रुक-रुक कर यानी दो-तीन दिनों के अंतराल पर हो रही है तो यह भारी समस्या का रूप ले सकती है. ऐसा होने पर सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ जाता है और बाद में फसल रोगग्रस्त हो जाती है. इस रोग की चपेट में आने पर कई बार शुरुआती दौर में पत्ते चितकबरे गहरे हरे रंग के दिखाई देते हैं.

पीला मोजेक रोग पर कैसे पाएं नियंत्रण? (How to control Yellow Mosaic Disease?)

सफेद मक्खी से होने वाले इस रोग की रोकथाम के लिए किसान लोबिया की बुवाई के समय ही बीजोपचार करें. इसके साथ ही अगर किसान उन्नत किस्म के बीजों से बुवाई का कार्य करें तो भी yellow mosaic disease के साथ बाकी लोबिया की खेती में लगने वाले रोग व कीटों से छुटकारा पा सकते हैं.

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पीला मोजेक रोग के संक्रमण से पूरी खेती प्रभावित हो सकती है. ऐसे में अगर किसी एक पौधे में संक्रमण हो जाता है तो किसान उस पौधे को ही जड़ से उखाड़कर खेत से दूर जमीन में गाड़ दें. इसके साथ ही मोजेक रोग की रोकथाम के लिए किसान 15 दिन के अंतराल पर नीम के पानी में माइक्रो झाइम मिलाकर छिड़काव करें.

English Summary: crop protection protect your lobiya cultivation from yellow mosaic disease Published on: 28 April 2020, 06:39 PM IST

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