यह कहानी एक ऐसे शख्स की है जो कभी साफ्टवेयर इंजीनियर था लेकिन नौकरी छोड़कर सड़क पर बेसहारा गायों की सेवा करने के लिए गौशाला स्थापित की और आज वह एक सफल रोजगार चला रहे हैं। यूपी के जिला सोनभद्र के रहने वाले निशांत कुशवाहा जो कभी देश की राजधानी दिल्ली में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत थे आज अपने प्रयासों से खोली गई गौशाला के जरिए न सिर्फ कमाई कर रहे हैं बल्कि गरीबों के साथ-साथ बेसहारा पशुओं की सेवा कर रहे हैं।
निशांत आज अपनी गौशाला के जरिए गौमूत्र से बनी दवाइयों से गरीबों का इलाज करते हैं तो वह दुग्ध उत्पादों की बिक्री से कमाई करते हैं। अधिकांश दवाइयां गौमूत्र से बनी हैं। इसके अलावा पंचगव्य भी बनाया जाता है। इन दवाइयों से कई प्रकार के रोगों का निवारण होता है जैसे कि आंख, कान एवं नाक रोगों के लिए ड्रॉप तो पथरी के इलाज के लिए भी ये दवाइयां बनायी जाती है।
उनका मानना है कि युवा रोजगार की तलाश में घर से दूर जाने के बजाय स्वयं ही रोजगार का सृजन कर सकते हैं जिससे वह अच्छी कमाई कर सकते हैं। उन्होंने चेन्नई से गौमूत्र आदि से बनने वाली दवाइयों की जानकारी हासिल की तथा गौशाला खोलने के बाद उसे आमदनी का जरिया बनाया। इस बीच निशांत ने सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं की मदद की बल्कि रोजगार के लिए दर-दर भटकने से खुद को बचाया। जिससे अन्य युवाओं को एक सीख मिली।
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