पंद्रह अक्टूबर तक कपास की कीमतों में वृद्धि होने का अनुमान है. गुजरात और राजस्थान के बाजारों में कपास के आने में हो रही देरी से कीमतों में उछाल आ सकता है. विशेषज्ञो का अनुमान है कि अक्टूबर के मध्य तक इसकी कीमतें 22,300 रूपये प्रति बैरल से बढ़कर 23,000 रूपये प्रति बैरल हो जाएंगी. बांग्लादेश, चीन और वियतनाम से बढ़ी हुई मांग और पाकिस्तान के बाजार में भारतीय कपास के जाने से मूल्य में और बढोतरी होगी. पाकिस्तान सरकार जल्द ही भारत से आयतित कपास पर लगने वाले पांच फीसदी आयत शुल्क को हटा सकती है.
इस वर्ष कपास उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 4.7 फीसदी घटकर 34.8 मिलियन गांठ हो जायेगा क्योंकि कपास उगाने वाले प्रमुख राज्यों में कम वर्षा और गुलाबी वॉलवर्म का हमला होगा. इससे भी कपास की कीमतों को फायदा होगा. पिछले साल भारत ने 6.9 मिलियन गांठों का निर्यात किया था.
डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपया विदेशी खरीदारों के लिए भारतीय कपास को सस्ता बनाने में मददगार होगा। इससे निर्यात में इज़ाफ़ा होने की उम्मीद है. साथ ही अच्छी गुणवत्ता वाली कपास बेचने वाले किसानों को बेहतर कीमतें मिलेंगी.
मौजूदा विपणन वर्ष में अभी तक बाजार में 70,000 गांठें ही पहुँच पाई हैं जो पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी कम हैं. अगर मांग बढ़ती है और माल कम आता है तो कीमतें 500 रूपये प्रति क्विंटल तक बढ़ने की उम्मीद है.
रोहताश चौधरी, कृषि जागरण
Share your comments