उद्यानिकी विभाग द्धारा टपक सिंचाई पद्धति को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यह पद्धति खेती को लाभ का सौदा बनाने की दिषा मे कारगर सिद्ध हो रही है. बड़ी संख्या में किसान इसके फायदो को देखते हुए इसे अपना रहे है. इसके माध्यम से कम खर्च मे किसानो को दो से ढाई गुना तक उत्पादन मिल रहा है. इस पद्धति से सिंचाई करने वाले किसानों की तकदीर ही बदल गई है.
इस पद्धति से 40-50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. इसके साथ ही खरपतवार निकालने मे मजदूरी खर्च में 60 प्रतिषत की कमी और रासायनिक उर्वरको पर 40 प्रतिषत खर्च की बचत हुई है उल्लेखनीय है कि टपक सिंचाई पद्धति में वेन्चुरी के माध्यम से कम मात्रा में उर्वरक लगता है. पानी मे घुलने के कारण पौधे पौषक तत्व आसानी से ग्रहण कर लेते है. फसल बड़े आकार में तथा उत्तम गुणवक्ता वाली होती है. फसलों में बिमारी भी कम लगती है. सेहत मंद पौधो से उत्पाद अच्छा होता है।
टपक सिंचाई पद्धति को अपनाकर किसान मालामाल हो गए है. कम भूमि मे कम लागत और अधिक उत्पाद के कारण किसान इस पद्धति की ओर आकर्शित हुए है. जहां अधिक उत्पाद मिल रहा है, वही फसल में बीमारी भी कम लगती है. उत्पाद और ज्यादा हो जाता है. सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि सिंचाई के लिए अत्यन्त कम मात्रा मे पानी की आवष्यकता होती है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य मे टपक और छिड़काव सिंचाई प्रणाली की स्थापना के लिए चुनने वाले किसानो को सब्सिडी की राषि बढ़ाने का निर्णय लिया है. सरकार छोटे किसानो और मध्यम किसानो को टपक और छिड़काव की कुल लागत का 25 प्रतिषत करेगी. सब्सिडी के रूप में बडे़ किसानो को कुल लागत का 10 प्रतिषत लाभ मिलेगा. छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा राज्य सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत सूखे और छिड़काव के लिए किसानों को सब्सिडी की मात्रा में योगदान मे वृद्धि की है.
इससे पहले, राज्य सरकार किसानो के दोनो श्रेणियो को सब्सिडी के रूप मे 10 प्रतिषत लागत प्रदान कर रही थी। विभाग के अधिकारियो के अनुसार, केन्द्र छोटे और माध्यम किसानो को कुल लागत का 35 प्रतिषत और बड़े किसानो को 25 प्रतिषत प्रदान कर रहा था.
केन्द्रीय और राज्य सरकार किसानो के दोनो द्धारा कि गए अनुदान के साथ छोटे और मध्यम किसानो को कुल लागत का 60 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगा जबकि बड़े किसानो को 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी. विभाग ने सिंचाई सुविधाओ के सहत और अधिक क्षेत्र को कवर करने के लिए कई उपाय किए थे। राज्य में सिंचाई के सहत कुल क्षेत्रफल 34.20 प्रतिषत तक पहुंच गया है.
2001 में, जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेष का हिस्सा था, तो लगभग 13 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई सुविधा के तहत थी. राज्य सरकार की पहल के बाद, सिंचाई क्षेत्र अब बढ़कर 1.9 मिलियन हेक्टेयर हो गया है,
झालेश कुमार, इरेश कुमार और संजय कुमार
इंदिरा़ गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़, पिन 492012
Er. Jhalesh Kumar
Ph. D. 2nd year
Department of Soil and water engineering
SV College of Agricultural Engineering and Technology & Research Station,
FAE, IGKV, Raipur, Chhattisgarh PIN-492012
Email: [email protected]
Mobile: 9691660925
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