कभी डकैतों और बंदूकों के लिए कुख्यात रहे चंबल संभाग में तेजी से बदलाव आ रहा है। बीहड़ों में डाकुओं की जगह फसलें लहलहाने लगी हैं। यहां बबूल और नीम के पेड़ ज्यादा होते है पर, जल्द ही चंबल 'चंदन" की सुगंध एवं चीकू की खूशबु से महक रहा है।
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के एक छोटे से गांव के किसान ने यह प्रयास शुरू किया जो सफल रहे हैं। बीते दो साल में यह किसान श्योपुर और मुरैना जिले में चंदन के 5 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुका है। इसके अलावा केसर, सेव, चीकू, अनार जैसे पेड़ों को भी सफलता पूर्वक चंबल में उगा रहा है। श्योपुर से 44 किमी दूर बगदरी ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच करम सिंह को बगिया लगाने का शौक था।
इसी शौक का उन्होंने अपना व्यवसाय बनाया और छोटे से गांव बगदरी में विशाल नर्सरी बना डाली। इस नर्सरी में फूल या सजावटी पौधों की बजाय करम सिंह ने चंदन, केसर, सेब, चीकू, अनार, केला जैसे पौधे विकसित करना शुरू किया। करम सिंह ने अपनी नर्सरी में अब तक चंदन के 7 हजार पौधे तैयार किए जिनमें से 5 हजार पौधों को वह श्योपुर से मुरैना जिले गांवों में लगवा चुके हैं। खास बात यह है कि, जो 5 हजार पौधे रोपे गए हैं वह 100 प्रतिशत जीवित हैं।
इन किसानों को भाई चंदन की खेती :
अंचल में कई किसान हैं जिन्हें चंदन की खेती पसंद आ रही है। ढोढर के किसान गुरुबाज सिंह ने चंदन के 300 पौधे, बर्धा बुजुर्ग गांव के इजराइल खां ने अपने खेतों में 700 पौधे चंदन के, धमलोकी गांव में किसान राजेन्द्र गुप्ता ने 1000 चंदन के पौधे अपने खेतो में लगाए हैं। यह सिर्फ उदाहरण मात्र हैं ऐसे कई और किसान हैं
जिन्होंने खेतों में या खेतों की मेड़ों पर 50 से 100 पौधे तक चंदन के लगाए हैं। अधिकांश किसानों के यहां पौधे जीवित है और बढ़ भी रहे हैं। हर महिने कहीं न कहीं से किसान चंदन की खेती के बारे में जानकारी लेने किसान करम सिंह से उनकी नर्सरी से टिप्स के साथ पौधे खरीद रहे है।
साभार - नई दुनिया
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