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6 राज्यों में सूखा का आकलन करने के लिए बनी केंद्र सरकार की टीम

भारत में कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है. इसके पीछे वजह यह है कि यहाँ बारिश का समय, मात्रा और अवधि सुनिश्चित नहीं रहती. देश के कई हिस्सों में बाढ़ का पानी तबाही मचाता है तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जो भयंकर सूखा की चपेट में रहते हैं. ऐसे में किसानों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं और वो हालत से निपटने के लिए सरकार से मदद की आस लगाते हैं. मौजूदा फसल वर्ष में भी देश के कई राज्यों में सूखा की स्थिति रही है. जिनमें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, झारखंड और ओडिशा शामिल हैं. इन राज्यों में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए केंद्र सरकार की टीमों को नियुक्त किया गया है. कृषि मंत्रालय के मुतबिक प्रत्येक राज्य के लिए अलग टीम का गठन किया गया है.

भारत में कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है. इसके पीछे वजह यह है कि यहाँ बारिश का समय, मात्रा और अवधि सुनिश्चित नहीं रहती. देश के कई हिस्सों में बाढ़ का पानी तबाही मचाता है तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जो भयंकर सूखा की चपेट में रहते हैं. ऐसे में किसानों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं और वो हालत से निपटने के लिए सरकार से मदद की आस लगाते हैं. मौजूदा फसल वर्ष में भी देश के कई राज्यों में सूखा की स्थिति रही है. जिनमें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, झारखंड और ओडिशा शामिल हैं. इन राज्यों में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए केंद्र सरकार की टीमों को नियुक्त किया गया है. कृषि मंत्रालय के मुतबिक प्रत्येक राज्य के लिए अलग टीम का गठन किया गया है.

इन छह राज्यों समेत कर्नाटक सरकार ने खरीफ (गर्मी) 2018 सीजन के लिए सूबे में सूखा घोषित कर दिया था. ओडिशा को छोड़कर, अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार से मदद के लिए पैकेज का ज्ञापन प्रस्ताव दिया है. कृषि मंत्रालय का कहना है कि छह राज्यों में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) को नियुक्त किया गया है. कर्नाटक में एक टीम पहले ही जा चुकी है और अपनी रिपोर्ट भी जमा करा दी है. अन्य टीम भी इस प्रक्रिया में हैं.

बताते चलें कि रिपोर्ट सबसे पहले कृषि सचिव की अध्यक्षता वाली उप-समिति द्वारा प्रस्तुत की जाती है. इसके बाद, समिति की सिफारिशों को लागू कराने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति के समक्ष रिपोर्ट पेश करनी होती है. इसके बाद उच्च स्तरीय समिति, सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से सहायता राशि जारी करने की अनुमति देती है.

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो खरीफ सीजन के दौरान कर्नाटक के कुल 100 में से 72 तालुक सूखा से भयंकर रूप से प्रभावित हुए थे. हालाँकि शेष क्षेत्रों भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहे थे. जून-जुलाई के दौरान मानसून की स्थिति सामान्य थी इसलिए राज्य में खरीफ सीजन की बुवाई बेहतर रही थी. हालाँकि, सितंबर के दौरान सूखा की गंभीर स्थिति हो गई जिसके चलते राज्य में फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. नुकसान के आकलन को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 2,434 करोड़ रुपये की सहायता राशि मांगी है.

कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन के दौरान 141.5 9 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान लगाया था. जो पिछले साल इसी अवधि के दौरान 140.73 मिलियन टन के वास्तविक उत्पादन के मुकाबले अधिक था.

रोहिताश चौधरी, कृषि जागरण

English Summary: Central Government team formed to assess drought in 6 states Published on: 13 December 2018, 10:07 AM IST

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