MS Swaminathan: देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) को भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया है. वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथ ने देश को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा काम किया था. दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1943 में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा था, जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया था. जिसके बाद उन्होंने ठान लिया था की वह कृषि के क्षेत्र को बदलने में अपना योगदान जरूर देंगे. इसी के चलते उन्होंने 1944 में मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. 1947 में वह आनुवंशिकी और पादप प्रजनन की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) आ गए. उन्होंने 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने अपना शोध आलू पर किया था.
पुलिस की नौकड़ी छोड़ कृषि क्षेत्र को चुना
कृषि क्षेत्र में अपना करियर बनाने को लेकर एमएस स्वामीनाथन के परिवारवाले उनके सख्त खिलाफ थे. वे चाहते थे की वह सिविल सेवा में जाएं, जिसके लिए उन पर परीक्षा की तैयारी करने का दवाब भी बनाया गया था. तैयारी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा दी और भारतीय पुलिस सेवा में उनका चयन भी हुआ. उसी दौरान नीदरलैंड में आनुवंशिकी में यूनेस्को फेलोशिप के रूप में कृषि क्षेत्र में एक मौका मिला. स्वामीनाथन ने पुलिस सेवा को छोड़कर नीदरलैंड जाना सही समझा. 1954 में वह भारत आ गए और यहीं कृषि के लिए काम करना शुरू कर दिया. एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है. वह पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म की पहचान की. इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई.
11 साल की उम्र में हो गई थी पिता की मौत
प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथ का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी में साल 1925 में हुआ था. स्वामीनाथन 11 साल के ही थे जब उनके पिता की मौत हो गई। उनके बड़े भाई ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया. उनके परिजन उन्हें मेडिकल की पढ़ाई कराना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत प्राणि विज्ञान से की. देश को अकाल से उबारने और किसानों को मजबूत बनाने वाली नीति बनाने में उन्होंने अहम योगदान निभाया था. उनकी अध्यक्षता में आयोग भी बनाया गया था जिसने किसानों की जिंदगी को सुधारने के लिए कई अहम सिफारिशें की थीं.
पहले भी मिल चुके हैं कई पुरस्कार
स्वामीनाथन को उनके काम के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) महत्वपूर्ण हैं. बता दें कि पिछले साल 28 सितंबर को एमएस स्वामीनाथन का चेन्नई में निधन हो गया था.
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