तम्बाकू को कई बीमारियों का मूल कारण माना जाता है. तम्बाकू के सेवन से इंसानो के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. तम्बाकू सिर्फ इंसानो के लिए ही नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी के लिए भी भयंकर ख़तरा बनकर समाने आ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो तम्बाकू से प्रत्येक साल 8.4 करोड़ टन कार्बन वातावरण में घूल रही है. जो लगभग 7.1 करोड़ मीट्रिक टन के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के समीप है. तम्बाकू से न केवल इन्शान और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी बहुत नुकसान पहुँचाता है. तम्बाकू के खतरे से बचने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक सिफारिश की है की अब सिगरेट के पैकेट की कीमत के साथ तंबाकू की पर्यावरणीय लागत भी जोड़नी चाहिए.
पूरे विश्व में तम्बाकू उत्पादन के मामले में चीन के बाद भारत दुसरे स्थान पर आता है. हमारे देश में प्रतिवर्ष 68.5 अरब रुपये कीमत का 8.3 लाख मीट्रिक टन तम्बाकू उत्पादित होती है. भारत तंबाकू उत्पादक के साथ- साथ निर्यात्क देश भी है और बेल्जियम, कोरिया, नाइजीरिया, नेपाल जैसे प्रमुख देशों सहित लगभग 90 देशो में तम्बाकू निर्यात करता है.
मध्य देशों में बढ़ा धूम्रपान का चलन
धूमपान से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के प्रति जागरुकता फैली है और विकसित देशों में धूमपान करने वालों की तादाद घटी है लेकिन मध्य और निम्न आय वाले देशों में इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है.
आपको बता दें की तम्बाकू का उत्पादन इंसानों के साथ पर्यावरण को भी कई तरह से नुकसान पहुँचाता है. इसका उत्पादन रेतीली और अम्लीय मिट्टी भूमि पर होता है जिसमे ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. जिससे फसल के बाद भूमि की उर्वरा शक्ति जल्दी ही ख़त्म जाती है. अब इसके उत्पादन के लिए किसानों ने तो जंगलों को भी काटना शुरु कर दिया है. इतना ही नहीं कुछ विकासशील देशो में राष्ट्रीय वनों की 5 फीसदी कटाई तम्बाकू के उत्त्पादन के लिए की गई है. काटे गए पेड़ों और पत्तियों को जलाते हैं जिस वजह से वायु प्रदूषण होता है. इसकी खेती नमी वाले इलाकों में नदी के किनारे की जाती है जिससे यह केमिकल नदी में मिल जाते हैं और जल प्रदूषण होता है.
चीन दुनियां का ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा सिगरेट उत्पादन किया जाता है. सबसे ज्यादा चीन के युवा धूम्रपान करते है. चीन में तम्बाकू के उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में कृषि भूमि और जंगलो का इस्तेमाल किया जा रहा है. तंबाकू का 90 फीसदी से ज्यादा उत्पादन विकासशील देश में किया जा रहा है. लेकिन सबसे ज्यादा इसका मुनाफ़ा विकसित देश ले रहे है. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए तंबाकू कंपनियों पर जुर्माना लगाना चाहिए.
प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण
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