सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही किसानों को फसल अवशेष (पराली) न जलाने का आदेश दिया हैं. इस लॉकडाउन में भी उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में प्रदूषण को रोकने के लिए फसलों के अवशेष ना जलाने का आदेश दिया गया है. यदि किसान इस आदेश का उल्लंघन करते पाए जाते है तो उनके खिलाफ उचित कार्यवाही (जुर्माना) की जाएगी. इसके लिए जिला स्तर पर एक कैमेटी गठित की गई है.
बता दें ,खेतों में फसलों के अवशेष, डंठल व भूसा जलाने से वायु प्रदूषित हो जाती है या यूं कहें कि वायु प्रदूषण बढ़ता है. इतना ही नहीं खेतों में पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति भी घट जाती है क्योकी खेत में उपस्थित लाभदायक जीवाणु पराली के साथ जल जाते है. जिससे पैदावार पर भी असर पड़ता है. इसे रोकने के लिए ललितपुर प्रशासन द्वारा उपजिलाधिकारी की देखरेख में न्याय पंचायत स्तर पर कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं.
बता दें, न्याय पंचायत स्तर गठित टीमें संबंधित ग्राम में पराली ना जलाए जाने के लिए जरुरी कदम उठाएंगी. यदि न्याय पंचायत स्तर पर पराली, गेहूं के डंठल, भूसा आदि जलाया जाता है तो उस न्याय पंचायत से संबंधित नियुक्त कर्मचारी और लेखपाल की होगी. किसानों के फसल अवशेष न जलाने पर रोक लगाने के लिए लेखपाल एवं ग्राम प्रधान द्वारा इसकी सूचना व्हाट्सएप ग्रुप एवं दूरभाष के माध्यम से तहसील स्तर दी जाएगी. अधिकारी पराली जलाने वाले किसान पर कार्रवाई करेंगे.
जोत के हिसाब से लगेगा जुर्माना
बता दें, जिन किसानों के पास दो एकड़ भूमि है. ऐसे किसान पराली अपने खेत में जलाते हैं तो उनसे दो हजार पांच सौ रुपए जुर्माने के रूप में वसूला जाएगा. इसके अलावा दो एकड़ से अधिक व पांच एकड़ कम वाले किसानों से पांच हजार से लेकर पंद्रह हजार रुपए तक का जुर्माना वसूला जाएगा. आवश्यकता पड़ने पर थानाध्यक्ष द्वारा रिपोर्ट दर्ज भी कराई जाएगी.
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