प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य तहत उत्तर प्रदेश को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में योगी सरकार जुटी हुई है. इसी कड़ी में प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके लिए राज्य के बुंदेलखंड जिले को ग्रीन एनर्जी हब (green energy hub) बनाने की तैयारी की जा रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक जिले में लगभग 6000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रस्तावित की जा चुकी हैं. इसके साथ ही अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क की भी तैयारी है. इसके लिए नेडा और टीएचडीसीआईएल के बीच एमओयू भी किया जाएगा. कैबिनेट से भी इस MoU की मंजूरी के लिए बात की जा चुकी है. केंद्र सरकार से जल्द ही इस प्रस्तावित परियोजना के लिए बजट की मांग की गयी है. केंद्र सरकार से बजट मिलने के बाद से ही सब-स्टेशन बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि परियोजना में प्रति मेगावाट प्लांट की लागत लगभग 4 करोड़ रुपये होगी.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) और भारत सरकार की संस्था टिहरी हाइड्रो डेवलेपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड की साझेदारी में 2000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना पर शुरुआती दौर में काम शुरू किया जाएगा.
एशिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट (floating solar energy plant)
आपको बता दें कि मौजूदा समय में रिहंद डैम पर फ्लोटिंग सौर पावर प्लांट परियोजना की स्थापना का शुरू हो चुका है. परियोजना की नोडल एजेंसी यूपी जल विद्युत उत्पादन निगम है. खास बात यह है कि यह 150 मेगावाट क्षमता वाला प्लांट एशिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सौर ऊर्जा प्लांट कहलाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक यानी दिसंबर 2020 तक, प्लांट का काम पूरा हो जाएगा.
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