किसानों के लिए आफत की घड़ी कब शुरू हो जाये इसका कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता और कुछ ऐसी ही आफत की ख़बर महाराष्ट (Maharashtra) से भी आ रही है. जी हां, इन दिनों महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और बदलते मौसम के कारण फसलों पर कीटों और बीमारियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है.
कपास की फसल को करना पड़ रहा है नष्ट (Cotton crop has to be destroyed)
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के किसानों ने अपनी खेत में कपास की खेती (Cotton Farming) की थी और इससे उन्हें काफी उम्मीदें भी थीं. लेकिन, कपास की पूरी फसल पर पिंक बॉन्ड वर्म (GulabiSundi) का प्रकोप बढ़ने लगा. जिसके बाद किसानों को निराशा झेलनी पर रही है,और अपने कपास के खेतों में ट्रैक्टर चलाकर फसल को नष्ट करने की नौबत आ गयी है.
कपास के अलावा भी अन्य फसलों पर कीटों का प्रकोप (Insect pests on crops other than cotton)
आफत सिर्फ कपास तक ही नहीं उससे कही ज्यादा है.बता दें कि महाराष्ट्र में सिर्फ कपास ही नहीं बल्कि अरहर (Toor Dal) और अंगूर (Grapes) समेत कई अन्य फसलें भी कीटों का प्रकोप झेलना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि दवा के छिड़काव के बाद भी फसल बर्बाद हो रही है.
कभी तेज धूप तो कभी बेमौसम बारिश से इन कीटों का प्रकोप बढ़ गया है. कीड़ों के लिए मौसम अनुकूल है. राज्य के सबसे बड़े कपास उत्पादक क्षेत्र खानदेश में कपास पर गुलाबी सूंडी (Pink Bollworm) का प्रकोप बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है.
किसानों की आपबीती (Farmers' plight)
चंद्रपुर जिले के किसानों ने इस साल बड़ी उम्मीद से कपास की खेती की थी. लेकिन इस साल प्रकृति के कहर ने सब बर्बाद कर दिया. सबसे पहले भारी बारिश के कारण, फिर रबी सीजन (Rabi Season) में बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसल खराब हो रही है. इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है.
यह भी पढ़ें: मिर्च की फसल को मिलीबग और लट या इल्ली से कैसे बचाएं
दवाई डालने के बाद भी कोई असर नहीं (No effect even after administering the medicine)
कपास मुख्य रूप से महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में उगाया जाता है. इसका एक कारण यह भी है कि कपास और सोयाबीन को नकदी फसल के रूप में लिया जाता है. इसलिए जिले के किसान कपास की अधिक खेती करते हैं. किसानों का कहना है कि कभी बारिश, कभी सूखा तो कभी कीटों की वजह से खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है.
किसानों ने कहा कि फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया गया लेकिन कोई असर नहीं हुआ. जिसके बाद मायूसी में पूरी फसल को बर्बाद करना पड़ रहा है.
अन्य क्षेत्रों को भी है खतरा (Other areas are also at risk)
महाराष्ट्र के जलगांव में भी रुक-रुक कर हो रही बारिश से किसान परेशान हैं. बदलते मौसम के कारण कपास की फसलों पर पिंक बॉन्ड लार्वा का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. कृषि विभाग ने रिपोर्ट सौंपी है कि जिले में 5 लाख 39 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की फसल पिंक बॉन्ड लार्वा से घिरी हुई है.
Share your comments