भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और विश्व बैंक ने हाल ही में कृषि 2023 में उच्च शिक्षा के लिए ब्लेंडेड लर्निंग इकोसिस्टम पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की. इस सम्मेलन में डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार करना जैसे ई-लर्निंग सामग्री और कृषि के लिए भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में नई तकनीकों का उपयोग करना जैसी चीजों पर चर्चा की गई.
कृषि शिक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण के लिए कृषि में शिक्षण और सीखने को अधिक प्रभावी और उपयोग में आसान बनाने के लिए डिजिटल संसाधनों और उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. यह एक ऐसी प्रणाली बनाने पर केंद्रित है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अच्छा काम करे और कृषि शिक्षा क्षेत्र में उपयोगी हो.
इस सम्मेलन के घोषणापत्र में कहा गया है कि कृषि के लिए उच्च शिक्षा में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कृषि नीतियों को बदलने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी द्वारा बहु-विषयक शिक्षा की मदद भी की जानी चाहिए.
आईसीएआर के उप महानिदेशक और एनएएचईपी के राष्ट्रीय निदेशक आरसी अग्रवाल ने कहा कि तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में लगभग 19 मुख्य वक्ताओं के साथ कृषि में मिश्रित शिक्षा से संबंधित छह महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई.
विश्व बैंक के डायरेक्टर अगस्टे तानो कौमे ने कहा कि भारत में हर साल 5,000 से अधिक छात्र पीएचडी प्राप्त करते हैं, जो दुनिया में कहीं और से अधिक है. नई तकनीकों के प्रसार के लिए हम आईसीएआर और भारत सरकार के साथ काम करते रहेंगे ताकि देश के हर राज्य को उनसे लाभ मिल सके.
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उन्होंने कहा कि एनएएचईपी एक पांच साल की परियोजना है जो 2018 में शुरू की गई थी. विश्व बैंक और केंद्र सरकार ने परियोजना को लगभग ₹600 करोड़ दिए गए हैं. एनएएचईपी का लक्ष्य कृषि में उच्च शिक्षा को बदलना है.
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