आंकड़ो के हिसाब से महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में सबसे अधिक किसान आत्महत्या करते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बाकि राज्यों में किसानों की हालत सही है. कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा के मुताबिक बिहार जैसे राज्यों में किसानों की हालत बहुत दयनीय है.
पंजाब की हालत बेहतर
न्यूज़ 18 की एक खबर के मुताबिक शर्मा ने कहा कि पंजाब और बिहार दोनो ही कृषि प्रधान राज्य हैं. लेकिन दोनो राज्यों के किसानों की आय में जमीन-आसमान का फर्क है. पंजाब में एपीएमसी सबसे मजबूत दिखाई देती है, लेकिन बिहार में ऐसा नहीं है.
एपीएमसी एक्ट से लाभ मिलना मुश्किल
शर्मा ने कहा कि बिहार में किसानों की औसत आय सिर्फ 3558 रुपये प्रति माह है, जो कि देश में सबसे कम है. कृषि क्षेत्र में आर्थिक पैकेज और नीतिगत सुधारों की बात कही जा रही है, लेकिन एपीएमसी एक्ट में संशोधन के बाद भी किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद कम है.
बिहार में किसानों की आय कम क्यों
बिहार में किसानों की आय कम होने के कई कारण है. सबसे पहले तो यहां मूल संसाधनों का अभाव है. सरकारी नीतियां धरातल पर लागू नहीं हो रही है. फल-सब्जियों या उपज को रखने के लिए कोल्ड स्टोर नहीं है. बिहार का एक हिस्सा बाढ़ से प्रभावित रहता है, जबकि दूसरा हिस्सा सूखे की मार झेल रहा है.
यहां अधिकतर छोटे किसान हैं, जिनके पास टुकड़ों में जमीन है. बड़े स्तर पर किसान लोन की बोझ से दबे हुए हैं. आज भी प्रदेश की खेती सिंचाई के लिए वर्षा के जल पर निर्भर हैं. पारंपरिक खेती ही यहां प्रचलन में है, मशीनों का उपयोग न के बराबर है.
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