
Subsidy on Agricultural Equipment: किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं, जिनमें कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी शामिल है. इससे न केवल खेती की उत्पादकता बढ़ती है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होती है. इसी कड़ी में बिहार के नवादा जिले में हरिश्चंद्र स्टेडियम में दो दिवसीय कृषि यांत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी (डीएम) रवि प्रकाश ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस मौके पर डीएम ने कृषि क्षेत्र में प्रगति के लिए आधुनिक यंत्रों और तकनीकों का उपयोग आवश्यक बताया और किसानों को सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने की सलाह दी.
डीएम ने बताया कि इस मेला का मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत कृषि यंत्रों और तकनीकों से परिचित कराना है, ताकि उनकी कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सके. साथ ही किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना भी इस मेला का अहम हिस्सा है. उन्होंने किसानों से इस मेले में ज्यादा से ज्यादा भाग लेने और कृषि के आधुनिक तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की अपील की.
कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक का अनुदान
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि इस मेले में 82 प्रकार के विभिन्न कृषि यंत्रों पर 50 से 80 प्रतिशत तक अनुदान मिल रहा है. इस वर्ष जिले को 1698 भौतिक लक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिनके तहत अब तक 706 किसानों को अनुदानित कृषि यंत्र दिए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही केंद्र प्रायोजित 'सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन' योजना भी चल रही है. इस योजना के तहत 20 लाख रुपये की लागत वाले कृषि यंत्र बैंक स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से जिले को 12 लक्ष्य प्राप्त हुए हैं, और अब तक सभी 12 लक्ष्य पूरे कर लिए गए हैं.
कृषि यंत्र बैंक और फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना
इसके अलावा, 10 लाख रुपये की लागत पर 4 लाख रुपये का अनुदान पाने वाले कृषि यंत्र बैंक की स्थापना के लिए जिले को सात लक्ष्य मिले थे, जिनमें से पांच लक्ष्य पूरे कर लिए गए हैं. वहीं, 10 लाख रुपये की लागत पर आठ लाख रुपये का अनुदान मिलने वाले फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए जिले को दो लक्ष्य मिले थे, जिनमें से एक बैंक स्थापित किया जा चुका है.
कृषि यांत्रीकरण मेला किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिससे वे आधुनिक कृषि उपकरणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपनी खेती में नयी तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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