बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बापू सभागार, गाँधी मैदान, पटना में आयोजित कृषि इनपुट अग्रिम अनुदान वितरण समारोह का उद्घाटन किया गया. इस कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि मंत्री बिहार डॉ० प्रेम कुमार द्वारा किया गया. इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त सुनिल कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल प्रसाद सिंह, इन्डसइन्ड बैंक के कन्ट्री हेड रवि हरजाई, कृषि विभाग एवं इन्डसइन्ड बैंक और वैशाली जिला के 5500 किसान उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बटन दबाकर अग्रिम इनपुट अनुदान संबंधित सॉफ्टवेयर का परिचालन किया. इसके साथ ही, 4 जिलों के 20173 किसानों के मोबाईल में ई-कैश संबंधित मैसेज चला गया. माननीय मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पूर्णियाँ, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, पटना, किशनगंज तथा छपरा के कृषि उत्पादन बाजार समिति के प्रांगण का निर्माण एवं जीर्णाद्धार कार्य तथा बिहार राज्य बीज निगम के शेरघाटी में नवनिर्मित भवन तथा अत्याधुनिक बीज प्रसंकरण का उद्घाटन किया. जैविक खेती एक झलक नामक पुस्तिका का भी विमोचन किया.
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मैं सबसे पहले इस विशिष्ट कार्यक्रम में पधारे सभी किसानों का अभिनंदन करते हुए कृषि विभाग को बधाई देता हूँ कि तीसरे कृषि रोड मैप की योजना का बहुत पहले से विभाग ने कार्य प्रारम्भ कर दिया है. बिहार में 89 प्रतिशत आबादी गाँवों में निवास करती है, जबकि 76 प्रतिशत लोग आज भी कृषि पर आजीविका के लिए निर्भर है. बिहार की लोगों ने 2005 में हमें राज्य की जवाबदेही सौपी थी. 2008 में पहले कृषि रोड मैप के कार्यान्वयन के बाद बीज प्रतिष्ठापन दर बढ़ा, यांत्रिकरण एवं जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया. 2012 में दूसरे कृषि रोड मैप को और वृहत् बनाते हुए भूमि, सिंचाई तथा बिजली के लिए अलग फीडर की व्यवस्था, हाई स्कूलों में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने आदि के लिए कार्य किये गये. कृषि रोड मैपों के क्रियान्वयन का ही नतीजा है कि धान के मामले में चीन का रिकार्ड बिहार ने तोड़ा तथा बिहार गेहूँ के मामले में राष्ट्रीय उत्पादकता से ज्यादा एवं मक्का के क्षेत्र में में राष्ट्रीय उत्पादकता से हम बहुत आगे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जमीन की चकबन्दी के लिए एरियल सर्वें का कार्य तेजी से किया जा रहा है. सब्जी के क्षेत्र में बिहार में अपार सम्भावनएँ है, कुछ जिलों में सभी प्रकार की खेती होती है. बिहार में जैविक सब्जी उत्पादन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टीगलेस ने कहा कि बिहार में किसान वैज्ञानिकों से ज्यादा अपने खेतों में प्रयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि सही मायने में जैविक खेती की जाये तो उससे फसलों की उत्पादकता बढ़ती है. जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा के किनारों को इसलिए चुना गया ताकि गंगा में रासायनिक अवशिष्ट न जायें. आज जैविक सब्जी के लिए इनपुट अग्रिम अनुदान का पायलट परियोजना शुरू किया गया है, अगले मौसम में भी पुनः अलग से अनुदान इसी तरह दिया जायेगा. उन्होंने किसान सलाहकारों एवं कृषि समन्वयकों को अपने कार्य के प्रति संवेदनशील रहने का सलाह दिया, ताकि उनको अपना आत्मसंतुष्टि हो सके. उन्होंने कृषि विभाग को बढ़ाई देते हुए कहा कि ई-कैश के माध्यम से किसानों को त्वरित योजनाओं का लाभ मिल सकेंगा. बिहार की जनसंख्या लगभग 12 करोड़ के आसपास है, जबकि राज्य में 8 करोड़ लोगों के पास मोबाईल है. इस पायलट परियोजना की सफलता आने वाले दिनों में अन्य योजनाओं के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि मेरा दो सपना है पहला किसानों की आमदनी में वृद्धि करना तथा दूसरा प्रत्येक भारतीय के थाल में एक बिहार व्यंजन हो.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इसे कम्प्यूटर का कमाल या जादू कह सकते हैं कि पहले जहाँ पैसा भेजने में महीनों लगता था, अब मिनटों में किसानों के खाते में पैसे पहुँच जाते हैं. पहली हरित क्रांति में अत्यधिक रासायनिक खाद एवं कीटनाशी दवाओं के उपयोग से पंजाब एवं हरियाणा की भूमि बंजर हो गई है तथा भूगर्भ जल का स्तर काफी नीचे चला गया है. सब्जी तथा खाद्यान्न पदार्थों में रासायनिक पदार्थों के कारण आज कैंसर जैसे रोग सामान्य हो गये हैं. कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक कोरिडोर का निर्माण, प्रत्येक जिले में एक जैविक गाँव की स्थापना, वर्मी कम्पोस्ट इकाई, गोबर गैस संयत्र आदि पर अनुदान की व्यवस्था की गई है. वर्ष 2005 के पहले जहाँ कृषि विभाग का बजट 20 करोड़ रूपये का होता था, वही वर्ष 2018-19 में 2,266 करोड़ रूपये कृषि का बजट है, इस प्रकार कृषि बजट में 123 गुणा वृद्धि हुई है. वर्ष 2017-18 में बैंकों के माध्यम से 40 हजार करोड़ रूपये किसानों को कृषि ऋण के रूप में दिया गया, वही 2018-19 में यह लक्ष्य 60 हजार करोड़ रूपये का रखा गया है. नीम कोटेट यूरिया के इस्तेमाल से यूरिया तथा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आयी है. आज से 40 साल पहले एक किलो खाद के उपयोग से 50 किलो गेहूँ का उत्पादन होता था, वही आज एक किलो खाद के उपयोग से मात्र 8 किलो गेहूँ का उत्पादन होता है. इसलिए हमें जैविक तरीके से खेती को बढ़ावा देना चाहिए. आने वाले दिनों में डीजल आधारित सिंचाई व्यवस्था को खत्म करने के लिए कृषि के लिए बिजली की अलग से कृषि फीडर के लिए 6 हजार करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है और उम्मीद है कि 2019 के अंत तक डीजल आधारित सिंचाई को पूर्ण रूप से खत्म हो जायेगा.
बिहार के कृषि मंत्री डॉ० प्रेम कुमार ने कहा कि 9 नवम्बर, 2017 को भारत के माननीय राष्ट्रपति जी के द्वारा कृषि रोड मैप 2017-22 की शुरूआत की गई. तीसरे कृषि रोड मैप में कृषि इनपुट अनुदान की योजना को शामिल किया गया. पिछले छः महीनों में विभाग द्वारा किसानों एवं बैंकों से समन्वय कर इस योजना को आज लागू किया. यह एक शुरूआत है, आगे योजना के स्वरूप तथा कार्यान्वयन पद्धति को और परिष्कृत किया जायेगा. इस योजना के प्रथम चरण में पटना, वैशाली, नालंदा एवं समस्तीपुर जिला के 20 हजार से अधिक सब्जी उत्पादक किसानों को शामिल करते हुए उनके खातों में देश में पहली बार अग्रिम अनुदान के रूप में 6000 रूपये प्रति किसान भेजा गया है. किसान मोबाईल में आये मैसेज के आधार पर पंजीकृत बिक्रेता से सब्जी के बीज, जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशी खरीद सकेंगे.
डॉ० कुमार ने कहा कि उनके नगद देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बिहार को धान, गेहूँ एवं मक्का के उत्पादन में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया है. फल एवं सब्जी के उत्पादन में बिहार अग्रणी राज्य है. फल एवं सब्जी के क्षेत्र में और आगे बढ़ने की सम्भावना है. गंगा नदी के किनारे जैविक कोरिडोर की स्थापना की जा रही है. कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए 71 प्रकार की कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है. अब सालों भर किसान अनुदानित दर पर यंत्र खरीदने के लिए ऑन-लाईन आवेदन कर सकते हैं. कृषि रोड मैप के माध्यम से हम माननीय प्रधानमंत्री के किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करने का संकल्प पुरा करना चाहते हैं. प्रत्येक भारतीय की थाल तक बिहार का एक व्यंजन पहुँचाने का बिहार के माननीय मुख्यमंत्री का सपना पूरा करना हैं. पिछले छः महीनों में कई प्रयोग किये गये हैं. लगभग एक हजार पंचायतों में तैयार पंचायत भवनों में पंचायत स्तर पर कृषि कार्यालय खोला जा रहा है. शेष पंचायतों के लिए व्यवस्था की जायेगी. राज्य में किसान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में किसान भाग लेकर इससे लाभ उठा रहे हैं. मिट्टी जाँच कर राज्य के 66 लाख किसानों के बीच स्वायल हेल्थ कार्ड का वितरण किया जा चुका है. स्वायल हेल्थ कार्ड के अनुशंसा के अनुसार उर्वरक के प्रयोग करने से किसानों की खेती के लागत मूल्य में कमी होगी एवं इनकी आमदनी बढ़ेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि इनपुट अनुदान योजना में किसानों को अग्रिम अनुदान का भुगतान बिहार में कृषि के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
इन्डसइन्ड बैंक के कन्ट्री हेड ने बताया कि भारत सरकार के डिजिटल इंडिया ने किसानों को अग्रिम राशि पहुँचाने में बिहार अग्रणी राज्य है. अपने बैंक के बिहार में उपस्थित के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि उनका बैंक 233 करोड़ रूपये कृषि ऋण के रूप में इस वित्तीय वर्ष में उपलब्ध कराया गया है. साथ ही, उनका बैंक ई-प्रोक्योरमेंट के लिए भी कार्य कर रही है.
Share your comments