
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में आयोजित चार दिवसीय 29वीं खरीफ शोध परिषद (2025) का भव्य समापन कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह के अध्यक्षीय भाषण के साथ हुआ. इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में वैज्ञानिक नवाचार, तकनीकी संवाद और कृषि शोध की विविध उपलब्धियों का भव्य प्रदर्शन हुआ. डॉ. डी. आर. सिंह ने परिषद के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि खाद्य और पोषण सुरक्षा आज की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौती है. इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय स्तर पर जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. साथ ही, उन्होंने पोषण-केंद्रित मेगा प्रोजेक्ट शुरू करने की भी घोषणा की, जिसमें सभी कृषि महाविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
इस परिषद के दौरान 192 शोध परियोजनाओं का तकनीकी मूल्यांकन किया गया. इनमें फसल उत्पादन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल सुरक्षा, विपणन और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों से संबंधित प्रोजेक्ट शामिल थे. परिषद के दौरान बीएयू के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित धान की चार उच्च उत्पादक और जलवायु-अनुकूल किस्मों का विमोचन भी किया गया, जो किसानों को अधिक उत्पादन, बेहतर गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधकता प्रदान करेंगी.
डॉ. अनिल कुमार सिंह, निदेशक अनुसंधान, ने परिषद की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान कार्य पाँच प्रमुख विषयगत विभागों के अंतर्गत सुव्यवस्थित रूप से संचालित हो रहा है.
- फसल सुधार (Crop Improvement)
- प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (Natural Resources Management)
- फसल सुरक्षा (Crop Protection)
- सामाजिक विज्ञान (Social Sciences)
- उत्पाद विकास एवं विपणन (Product Development and Marketing)
डॉ. सिंह ने कहा कि बीएयू बहुआयामी शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे बिहार की कृषि को वैज्ञानिक, टिकाऊ और बाजारोन्मुख प्रणाली के रूप में स्थापित किया जा सके. उन्होंने यह भी जोर दिया कि वैज्ञानिकों को अपनी तकनीकों को प्रयोगशालाओं से खेतों तक पहुंचाने की रणनीति पर काम करना चाहिए, ताकि किसानों को सीधे लाभ मिल सके.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय की शोध परियोजनाएं कृषि विविधीकरण, जल एवं मृदा प्रबंधन, मूल्य संवर्धन, जैविक खेती, कृषि उद्यमिता विकास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों को समाहित करती हैं. ये प्रयास राज्य को आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में ले जाने में मददगार साबित होंगे.
कार्यक्रम के समापन पर कुलपति डॉ. सिंह ने सभी वैज्ञानिकों, विभागाध्यक्षों, कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधियों एवं तकनीकी अधिकारियों को उनके सक्रिय और रचनात्मक योगदान के लिए बधाई दी. उन्होंने विश्वास जताया कि इन शोध प्रयासों के माध्यम से बिहार की कृषि को नई दिशा, रफ्तार और वैश्विक पहचान मिलेगी.
लेखक: रौशन कुमार, FTJ बिहार
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