देश में घोडा पालन अच्छे स्तर पर होता है, घोडापालन करने वालो की अच्छी आय भी होती है। लेकिन इनके पालन के साथ –साथ इनकी सेहत और खान –पान का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। यदि कोई घोडा बीमारी की चपेट में आ जाता है, तो पशुपालक को नुकसान उठाना पड़ता है। घोड़ो में ग्लैंडर्स नाम कि बीमारी बहुत खतरनाक होती है। यदि कोई घोडा इसकी चपेट में आ जाए तो उसको मार देना ही बेहतर होता है। यदि जानकारी रहते इस बीमारी का पता पहले ही लग जाए तो कुछ सावधानिया बरतकर घोड़े को इससे बचाया जा सकता है। यह एक तरह का संक्रामक रोग है। यह बीमारी कुछ दिन से लेकर महीनों तक प्रभावित करती है, अगर पशुपालक को इस बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत पास के पशु चिकित्सालय में इसकी सूचना दें और खून की जांच कराएं। इस बीमारी के बैक्टीरिया सेल में प्रवेश कर जाते हैं। इलाज से भी यह पूरी तरह नहीं मरते हैं। ऐसे में दूसरे जानवर और इंसान भी इससे संक्रमित हो जाते हैं.यह बीमारी ऑक्सीजन के जरिये फैलती है। शरीर में गांठे पड़ जाती हैं। गांठों में संक्रमण होने के कारण घोड़ा उठ नहीं पाता है और बाद में उसकी मृत्यु हो जाती है।
इस बीमारी के लक्षण:
- गले व पेट में गांठ पड़ जाना
- जुकाम होना (लसलसा पदार्थ निकलना)
- श्वासनली में छाले
- फेफड़े में इन्फेक्शन
इस बीमारी बचाव के लिए क्या करें :
सबसे पहले इस यदि घोड़े में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो नजदीकी पशु चिकित्सालय में पशु के खून की जांचा कराये और निम्न सावधानियां बरते।
- पशु को समय पर ताजा चारा-पानी देना
- बासी खाना न दें
- ज्यादा देर तक मिट्टी-कीचड़ में न रहने दें
- साफ-सफाई का ध्यान रखना
- गर्मी में नहलाना
- दवाओं का छिड़काव जरुर करें
- बीमार पशुओं के नजदीक न जाने दें
ध्यान रखे : यदि कोई पशु पूरी तरह से इस बीमारी चपेट में आ जाता है तो उसको मारना ही बेहतर होता है। उसको मारकर 4 फीट गहरे गड्ढे नें दबा दे। यह बीमारी हवा के जरिए फैलती है जो इंसानों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।
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