चालू खरीफ सीजन में बासमती की खेती के रकबे में करीब 17 फीसदी की बढ़ोतरी और बंपर फसल के अनुमानों ने किसानों को चिंतित कर दिया है. इसके पीछे का मुख्य कारण धान की सुगंधित प्रीमियम किस्म की कीमतों में गिरावट होना है. बासमती की खेती के रकबे में उछाल का श्रेय राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई फसल विविधीकरण को दिया जा रहा है. राज्य कृषि विभाग के अनुसार, सुगंधित अनाज मोटे किस्म की तुलना में 15-20% कम पानी की खपत करता है, जो एक किलोग्राम चावल उगाने के लिए 3,367 लीटर पानी की खपत करता है.
बाजार के रुझान से पता चलता है कि पंजाब के माझा क्षेत्र की कुछ मंडियों में पहुंची ताजा बासमती किस्म 1509 का भाव 2,400 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है , जो पिछले सीजन में 4,500 रुपये प्रति क्विंटल था.
अप्रैल में अमृतसर और तरनतारन जिलों और माझा बेल्ट के मंड क्षेत्र में डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) विधि से बासमती की खेती करने वाले कुछ किसानों ने फसल की कटाई शुरू कर दी है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 1 सितंबर तक आवक बढ़ जाएगी और सितंबर में सबसे ज्यादा पहुंचने की उम्मीद है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले रुझानों के अनुसार, क्षेत्रफल में वृद्धि और उत्पादकता में वृद्धि से कीमतों में गिरावट आती है. तरनतारन मंडी के व्यापारी बलकार सिंह ने बताया कि बासमती का मौजूदा भाव करीब 2,500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है और यह इसी स्तर पर रहने वाला है. इस सीजन में बासमती की खेती करीब 7 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 5.96 लाख हेक्टेयर से करीब 17 फीसदी ज्यादा है.
अमृतसर के मुच्छल गांव के बासमती उत्पादक रवि शेर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश से बासमती की उपज 2,500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है और यह पंजाब और हरियाणा के लिए रुझान तय करती है. पंजाब कृषि विभाग के अनुसार, राज्य के 80% से ज़्यादा क्षेत्र में बासमती की 1509 और 1692 किस्में उगाई जाती हैं और इनकी कीमत कम मिलती है. प्रीमियम किस्मों में सबसे अच्छी 1121 बासमती की कीमत ज़्यादा मिलती है.
रवि शेर सिंह ने कहा, "इस वर्ष, हम उम्मीद कर रहे हैं कि बासमती की कीमतें अधिकतम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाएंगी, जो चिंता का विषय है क्योंकि मोटे धान न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत आते हैं और किसानों के लिए बेहतर लाभ लाते हैं." उन्होंने कहा कि बासमती की प्रति एकड़ अधिकतम उपज 20-25 क्विंटल होती है, जबकि मोटे किस्म की उपज 30-35 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.
मोटे धान को बेचने पर किसान को एक एकड़ से कम से कम 69,000-80,500 रुपये मिलते हैं, जबकि बासमती उगाने वाले किसान को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एक एकड़ फसल बेचने पर 60,000-75,000 रुपये मिलते हैं . उन्होंने कहा, "सरकार को प्रीमियम अनाज उत्पादकों की सुविधा के लिए कुछ व्यवस्था करनी चाहिए."
राज्य कृषि विभाग के प्रमुख विशेष मुख्य सचिव केएपी सिन्हा के अनुसार, बासमती अनाज की कीमतें मांग और आपूर्ति से नियंत्रित होती हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग है. उन्होंने कहा, "जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें अच्छी हैं तो पंजाब के किसान उचित मूल्य से कैसे वंचित रह सकते हैं?"
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 175 लाख टन गैर-बासमती चावल के निर्यात से 63,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आय हुई, जबकि 45 लाख टन बासमती चावल के निर्यात से 48,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्ति हुई. पंजाब के पास राज्य की मूल फसल के रूप में बासमती के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग है और यह देश से कुल निर्यात में कम से कम 40% का योगदान देता है.
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