"देश के कंकर –कंकर को शंकर और बिंदु-बिंदु को गंगाजल" मानने वाले अटल जी के लिए गांव, किसान और मजदूर वर्ग सदैव प्राथमिकताओं पर रहे अपने जीवन काल में उन्होंने हमेशा ना सिर्फ इनके कल्याण के लिए अनेक योजनाएं बनाई, बल्कि संसद के अंदर और बाहर पैरवी भी करते रहे. आज भारत का गांव-गांव नगरों एवं महानगरों के संपर्क में है, गावं की सड़कों से होती हुई गाड़ियां दौड़ रही है, छोटे ग्रामिण उद्योग इस कदर फल-फूल रहे हैं कि उन्होंने अंतराष्ट्रिय स्तर पर ख्याती प्राप्त कर ली है. यह सब अटल जी के बदौलत ही हो रहा है.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि 1995 के बाद से गांवों का विकास उल्लेखनीय रूप से हुआ है. पीएमजीएसवाई की पक्की सड़कों ने तो गांवों में नए रोजगार खड़े कर दिए हैं. वो अटल ही थे जिन्होने पहली बार ये सोचा कि किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान प्राकृतिक आपदाओं से होता है और इससे बचने के लिए फसल बीमा योजना लायी जानी चाहिए.
अटल जी के कार्यकाल की एक घटना आज भी लोगों के जहन में है, जब उन्होने कृषि मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकार सभी राज्य सरकारों से किसानों के हित में समुचित कदम उठाने का आग्रह किया था. अटल जी के करिश्माई अंदाज का ही असर था कि उस समय ज्यादातर राज्यों ने इसे सहज स्वीकार भी लिया था. उनके कार्यकाल में ही मंडियों के लिए कानून बने एवं कांट्रैक्ट खेती और फसल बीमा जैसी योजनाओं को शुरु किया गया.
अटल जी मानते थे कि गांवों को अगर बेहतर कनेक्टिविटी दी जाएं तो भारत का विकास संभव है. आज प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) से देश के 90 फीसद गांव लाभ उठा रहे हैं. उनके इस फैसले को बाद में आई सरकारों ने भी सराहा और पीएमजीएसवाई योजना अलग-अलग सरकारों के नेतृत्व में भी चलती रही.
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