श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि दो दिवसीय विचार-मंथन कार्यक्रम के सफल होने की आशा जताई. उन्होंने आग्रह किया कि देश के दूसरे अन्य राज्यों और किसानों के हित के लिए इस तरह के कार्यक्रम श्रृंखलाबद्ध तरीके से जारी रहना चाहिए. उन्होंने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि ऐसे कार्यक्रमों में औपचारिकता का स्तर शून्य होना चाहिए. मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव और प्रतिकूलताओं को झेलते हुए उसे सुदृढ़ बनाए रखने में कृषि की भूमिका महत्त्वपूर्ण है, इसलिए कृषि को प्रौद्योगिकी तथा सुविधाओं से जोड़ना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों और किसानों के आपसी मेल ने कृषि के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है. साथ ही, उन्होंने कहा कि किसानों के हित में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं तभी सफल हो पाएगी जब किसान भी बराबरी का सहयोग करेंगे. श्री तोमर ने जैविक खाद पर जोर देते हुए कहा कि आय-केंद्रित कृषि और कृषक समुदाय को मजबूत करने के लिए एकीकृत खेती को अपनाना जरूरी है. इस अवसर पर श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री और श्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भी उपस्थित रहे.
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने कहा कि यह कार्यक्रम एक श्रृंखला के तहत किसानों की समृद्धि और उनकी आय वृद्धि के मद्देनजर आयोजित की गई है.
डॉ. महापात्र ने कहा कि कृषि प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप से ही वर्ष 2022 तक चुनौतियों से निजात पाते हुए किसानों की दुगुनी आय संभव हो पाएगी. महानिदेशक ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम दूसरे अन्य राज्यों के लिए भी आयोजित होता रहेगा तथा किसानों, वैज्ञानिकों, छात्र-छात्राओं, किसान उत्पादक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों से विचार-विमर्श करते हुए किसानों की समृद्धि के लिए उचित प्रौद्योगिकी और रणनीति का इस्तेमाल किया जाएगा. श्री संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने इस अवसर पर सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया. कार्यक्रम में श्री अतुल चतुर्वेदी, सचिव, पशु पालन विभाग ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की.
डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय कार्यक्रम की पूरी रूप-रेखा के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में जो भी अनुशंसा की जाएगी उसके मद्देनजर भविष्य के लिए दिशा-निर्देश भी बनाया जाएगा. इस अवसर पर डायग्नोस्टिक्स किट्स और मोबाईल एप्प भी जारी किए गए. डॉ. वी. पी. चहल, अतिरिक्त महानिदेशक, (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने आभार प्रस्तुत किया. इस कार्यक्रम में संसद-सदस्यों, भाकृअनुप-संस्थानों के अधिकारियों, निदेशकों, वैज्ञानिकों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, छात्रों, नीति-निर्धारकों, किसान उत्पादक संगठनों सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के केवीके से चयनित किसानों ने भाग लिया.
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में स्थित सी. सुब्रमण्यम सभागार में दो दिवसीय कार्यक्रम ‘मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में किसानों की समृद्धि के लिए तकनीकी नवाचार और रणनीतियाँ’ पर विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया गया.यह कार्यक्रम कृषि विस्तार संभाग, नई दिल्ली और कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर द्वारा संयुक्त तौर पर आयोजित किया गया.
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