इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्दालय, रायपुर ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्दालयों की सूची में इसे 12 वां स्थान मिला है। आप को बता दें कि कृषि शिक्षा प्रसार एवं अनुसंधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली द्वारा जारी 63 कृषि विश्वविद्दालयों की रैंकिंग में इसे यह स्थान मिला है।
विश्वविद्दालय के कुलपति डॉ. एस.के पाटील ने विश्वविद्दालय के प्राध्यापकों एवं वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि शीघ्र ही यह देश के 10 सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्वविद्दालयों की सूची में शामिल होगा। कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में भी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की गई हैं। विगत 15 वर्षो में विश्वविद्यालय द्वारा 36 विभिन्न फसलों की लगभग 89 किस्में विकसित की गई हैं। धान की सुगंधित परंपरागत प्रजातियों को भी लोकप्रिय बनाने के लिए उसमें सेलेक्शन द्वारा दूबराज, बादशाहभोग, तरूणभोग, विष्णुभोग जैसी किस्में प्रसारित की गई हैं। पिछले वर्ष से विश्वविद्यालय ने बीज, खाद, कीटनाशक बेचने वाले एग्रीइन्पुट डीलर्स को प्रशिक्षण देने हेतु एक वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसके तहत अगले दो वर्षों में 5000 एग्रीइन्पुट डीलर्स को प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस कार्यक्रम से कृषि विस्तार का एक नया प्लेटफार्म तैयार होगा।
आदिवासी क्षेत्रों के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा पूर्व नक्सली एवं नक्सल प्रभावितों को कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मुर्गीपालन एवं मत्स्य उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे ये मुख्य धारा में शामिल होकर सामान्य जीवन यापन कर सकें। समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने से इन कृषकों की आय 2-3 वर्षों में ही चार गुनी हो गई है। फसलों में लगने वाले कीड़े बीमारियों के पहचान् एवं उसके नियंत्रण आॅनलाइन जानने के लिए क्राप डॉक्टर, वेजेटेबल डॉक्टर, दलहन एवं तिलहन डाक्टर मोबाईल एप भी जारी किये गये हैं। यह एप इंटरनेट कनेक्शन के बगैर भी कार्य करते हैं।
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