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झालावाड़ में कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन, युवा किसानों ने सीखे "संरक्षित खेती" के गुर

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता डॉ. आई. बी. मौर्य, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालरापाटन ने संरक्षित संरचनाओं में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की बेमौसमी खेती की विस्तृत जानकारी दी.

KJ Staff
झालावाड़ में कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन,
झालावाड़ में कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन,

युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित कर बनाए रखना (आर्या) परियोजना के अन्तर्गत "संरक्षित खेती" विषय पर 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (14-20 दिसंबर, 2023) का समापन बुधवार (20 दिसम्बर) को किया गया. जिसमें झालावाड़ जिले के 18 से 35 वर्ष के 40 युवा कृषकों ने भाग लिया. कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डॉ.टी.सी. वर्मा ने बताया कि केन्द्र पर 7 दिसवीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता डॉ. आई. बी. मौर्य, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालरापाटन ने संरक्षित संरचनाओं में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की बेमौसमी खेती की विस्तृत जानकारी दी.

प्रशिक्षण प्रभारी एवं केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरविन्द नागर ने बताया कि इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को प्रो ट्रे में बीज को कैसे लगाएं, पोलीहाउस, नेटहाऊस एवं लॉ-टनल में विभिन्न फसलों की खेती, कंटाई-छंटाई, फर्टिगेशन के साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को जिले के उत्तम पॉलीहाऊस इकाईयों जैसे उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालरापाटन, स्वामी पोलीहाउस-गोलाना, बानोर में बालमुकुन्द दांगी व गांव झीतापुरा में गौरीलाल लोधा के खेत पर ले जाकर लॉ-टनल तकनीक का भ्रमण करवाकर "करके सीखों एवं देखकर विश्वास करो" के सिद्धान्तों पर आधारित प्रायोगिक जानकारी उपलब्ध करवाई गई.

केन्द्र के प्रसार वैज्ञानिक डॉ. मौहम्मद युनुस ने उपस्थित प्रतिभागियों को भविष्य में संरक्षित खेती की इकाई स्थापित करने के लिए शुभकामनाएं देते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण की सफलता तभी सिद्ध होगी जब आप इन 7 दिनों में सीखी गई संरक्षित खेती के लिये प्रदत्त तकनीकियों एवं जानकारियों को स्वयं अपनाकर आत्मभूत करें एवं इसको रोजगारपरक बनाएं जैसा कि आर्या परियोजना के प्रशिक्षण का उद्देश्य भी यही है कि प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण पश्चात् आत्मनिर्भर एवं रोगजार सृजक बनें.

केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक, डॉ. सेवाराम रूण्डला ने वर्मीकम्पोस्ट, एफवाईएम, सिंचाई के साथ तरल उर्वरकों के महत्व, विभिन्न वृद्धि अवस्थाओं पर पर्णीय छिड़काव, फसलों में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी से होने वाले विकारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. आई. बी. मौर्य, अधिष्ठाता, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालरापाटन, डॉ. राजेन्द्र यादव, डॉ. निर्मल मीणा, डॉ. कनिका चैहान, डॉ. सुरेश जाट एवं डॉ. आँचल शर्मा इत्यादि ने प्रशिक्षण में तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाई.

English Summary: Agricultural training program organized in Jhalawar krishi vigyan kendra information about protected farming given to young farmers Published on: 21 December 2023, 12:15 PM IST

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