सरकार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए हर तरह से तैयार होना चाहती है... चुनाव के वक्त किसी पार्टी की जीत में किसानों की भूमिका काफी अहम मानी जाती है... इसलिए हर पार्टी का लक्ष्य किसानों तक पहुंचने का होता है... ऐसे मे किसानों को एमएसपी की सौगात देकर सरकार ने चुनाव के पहले एक अच्छा दांव खेला है और आगे उम्मिद की जा रही है की किसानों के लिए चुनाव के पहले और भी कई तरह के छूट दे सकती है... लेकिन, कर्ज माफी से किसानों का जहां भला होगा वहीं इस तरह के फैसले से सरकारी खजाने पर असर भी पड़ेगा...
अगर बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बेफाएमएल) की एक हालिया रिपोर्ट की बात करें तो केंद्र और राज्य सरकारें आने वाले 2019 के लोकसभा के चुनाव के पहले और भी कई फैसले ले सकती है जिसकी वजह से किसानों की कर्जमाफी का बोझ 40 अरब डॉलर यानी 2754 अरब रुपए से ज्यादा हो जाएगा... और यह राशी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के देढ़ प्रतिशत राशी के भी ज्यादा है... वहीं ये रिपोर्ट ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक ने किसानों का कर्जमाफी करने का ऐलान किया है और सरकार ने किसानों के लिए एमएसपी भी लागू किया है...
कर्नाटक में किसानों की कर्जमाफी की बात करें तो पिछले दिनों राज्य सरकार ने 34 हजार करोड़ रुपए का कृषि कर्ज माफ किया है... वहां उन किसानों के कर्ज को पूरी तरह से माफ कर दिया गया है जिनका कर्ज 2 लाख रुपए था...बोफाएमएल ने अपने रिपोर्ट में एमएसपी और कर्ज माफी से कृषि आय में बढ़ोतरी होने का जिक्र किया है... लेकिन, इसके साथ ही महंगाई और राजकोषीय घाटे के कारण वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करना बड़ी चुनौती बताया है...
बता दें कि कर्नाटक सरकार ने कर्ज माफी के धन को पेट्रोल-डीजल और शराब पर ज्यादा कर लगाकर वसूलने की बात कही है...
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