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उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कृषि कारोबार

उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कृषि कारोबार पर टेरी एसएएस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में दुनिया भर के आहार संकट से निपटने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नई कृषि टेक्नालॉजी तैयार करने के लिए एकीकृत कार्रवाई की अपील की गई! विकसित और दुनिया भर की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विशेषज्ञों, नीति, निर्माताओं और सीईओ ने स्थायी कृषि कारोबार व्यवहार, ग्रामीण विकास, आहार व पोषण संबंधी सुरक्षा के क्षेत्र में एसडीजी हासिल करने और बदलाव के लिए समाधानों की चर्चा की!

 

उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कृषि कारोबार पर टेरी एसएएस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में दुनिया भर के आहार संकट से निपटने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नई कृषि टेक्नालॉजी तैयार करने के लिए एकीकृत कार्रवाई की अपील की गई! विकसित और दुनिया भर की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विशेषज्ञों, नीति, निर्माताओं और सीईओ ने स्थायी कृषि कारोबार व्यवहार, ग्रामीण विकास, आहार व पोषण संबंधी सुरक्षा के क्षेत्र में एसडीजी हासिल करने और बदलाव के लिए समाधानों की चर्चा की!

बढ़ते खुले अंतरराष्ट्रीय बाजार के आलोक में आहार सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला के एकीकरण की दोहरी चुनौती को हासिल करने के साझा उद्देश्य के मद्देनजर विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के क्षेत्र में कृषि कारोबार और संबद्ध आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञ, नीति, निर्माता और सीईओ एकजुट हुए ताकि इनक्लूसिव कृषि कारोबार में ऐसे स्थायी बदलाव हासिल करने के लिहाज से मौकों के विकास और उन्हें निखारने में आने वाली चुनौतियों को जाना जा सके जो ग्रामीण आबादी, पलायन, कृषि बाजारों के भूमंडलीकरण को बदल देता है जिससे आहार सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर दिया जाता है।

इसका आयोजन टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज ने किया था। दो दिन का यह अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस व्हिटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, दि साउथ एशिया सेंटरऐट सायराक्यूज यूनिवर्सिटी (अमेरिका) और जरनल ऑफ एग्री बिजनेस इन डेवलपमिंग एंड इमर्जिंग इकनोमीज (जेएडीईई) के साथ मिलकर आयोजित किया गया है।

कांफ्रेंस में अनुसंधानकर्ताओ, प्रैक्टिस करने वालों, नीति निर्माताओं और अन्य स्टेक धारकों ने हिस्सा लिया जो दुनिया भर से आए थे। इन लोगों ने इस दौरान विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अपने मूल अनुसंधान और सुविज्ञताओं को प्रस्तुत और साझा किया। कांफ्रेंस में कई तरह के प्रासंगिक विषयों, विधियों और अनुसंधान तरीकों को कवर किया गया। इसमें कई तरह की अवधारणाएं, समीक्षाएं और केस स्टडीज शामिल हैं। भारत, बांग्लादेश, ब्रिटेन, नेपाल, नाईजीरिया, मैक्सिको, अमेरिका, यूगांडा, इंडोनेशिया, मलेशिया और ईरान से 230 लोगों ने कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। यह कांफ्रेंस एक बड़ा मौका था जहां कृषि कारोबार के क्षेत्र में किए गए काम प्रदर्शित किए जा सके।

कांफ्रेंस का उद्घाटन डॉक्टर सुरेश पाल, डायरेक्टर आईसीएआर, श्री कमल सिंह, कार्यकारी निदेशकयूएन ग्लोबल कांपैक्ट और श्री रविशंकर, मुख्यकार्यकारी अधिकारी अमूल डेरी, श्री अशोक चावलाचांसलर टेरी एसएएस, डॉक्टर लीना श्रीवास्तव, वाइस चांसलर, टेरी एसएएस, कंफ्रेंस के को. चेयर्सडॉक्टर सपना ए नरुला, एसोसिएट प्रोफेसर, टेरी एसएएस और डॉक्टर एसपी राज, विशिष्ट प्रोफेसर, व्हिटमैन स्कूल ने किया।

मौजूद लोगों से कांफ्रेंस का परिचय कराते हुए डॉक्टर लीना श्रीवास्तव ने बताया कि 12 विषयों में 120 पेपर पढ़े गए जो पूरी तरह ससटेनेबल डेवल पमेंटगोल्स, स्थायी विकास लक्ष्य या एसडीजीद्ध की लाइन में थे जिसका सुझाव संयुक्त राष्ट्र ने दिया है। "दुनिया जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुपोषण, जलवायु परिवर्तन और कृषि उत्पादकता, आहार सुरक्षा, संरक्षण और संसाधनों के उपयोग, स्थायी कृषि व्यवस्था और आजीविका का विकास आदि जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है ऐसे में कृषि कारोबार का विकास विकास के नए मौके खोलेगा जिससे भारत के ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था में दिखाई देने योग्यसुधार आएगा।"

अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री अशोक चावला ने टेरी एसएएस टीम को बेहद समकालीन विषय पर इस आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि कांफ्रेंसके एजंडा में कृषि कारोबार से संबंधित तकरीबन सभी विषयों को कवर किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कांफ्रेंस की चर्चा में नीति निर्माताओं और अनुसंधानकर्ताओं - दोनों के लिए महत्वपूर्ण नीति और अनुसंधान से संबंधित मुद्दे सामने आएंगे।

डॉक्टर सपना ए नरुला ने अपने संबोधन में कहा कि, "इस कांफ्रेंस का लक्ष्य एक ऐसा मंच बनाना है ताकि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विद्वानों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और उद्योग के प्रतिनिधियों को एकजुट किया जा सके ताकि भारत में कृषि कारोबार के सुधार और विकास के तरीकों पर चर्चा की जा सकेखासकर आहार और पोषण संबंधी सुरक्षाए जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्थायी व्यवहार, ग्रामीण विकास और आजीविका, कोयल खनन क्षेत्र में खराब और कोयला निकाले जा चुके क्षेत्र को दुरुस्त कर कृषि कारोबार का विकास, इको पार्क्स का विकास और इको टूरिज्म आदि जो भारत में सामाजिक आर्थिक ताने-बाने को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान कर सके जिसकी करीब 56.6% आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) कृषि और संबद्धगतिविधियों पर निर्भर है।"

कृषि कारोबार में विपणन, वितरण और खुदरा बिक्री के बारे में बताते हुए डॉ. एस. पी. राज ने इस बात पर जोर दिया कि, कृषि कारोबार क्षेत्र की कंपनियों को उभरती कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के जरिए एसडीजी हासिल करने और कृषि कारोबार आपूर्ति श्रृंखला में स्थायित्व हासिल करने के लिए बड़ी भूमिका निभानी है और इसके लिए ऐसे कारोबारी मॉडल को अपनाना है जिसके जरिए वे एक स्थायी माहौल, लोगों की आजीविका आदि को मुनाफा कमातेहुए बढ़ावा दे सकें।"

कांफ्रेंस को एसडीजी के तर्ज पर रखा गया और दुनिया भर के मुख्य वक्ताओं ने भिन्न सत्रों की अध्यक्षता की। कांफ्रेंस के कुछ प्रमुख सत्र इस प्रकार रहे:

एसडीजी 13 पर जलवायु परिवर्तन और कृषि कारोबार पर एक सत्र में कृषिकारोबार पर पर्यावरण के प्रभाव की चर्चा हुई। इसमें फसल बीमायोजना, कैश क्रॉप्स, खेती आदि पर क्लाइमेट वैरिएबिलिटी इंपैक्ट मापना आदि पर चर्चा हुई।

एसडीजी 12 पर स्थायी खपत और उत्पादन पर आयोजित सत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ा जाए और हाईजेनिक सीवेज का उपयोग किया जाए, टेक्सटाइल क्षेत्र में ससटेनेबल (स्थायी) डाइंग प्रक्रिया, भारतीय कंपनियों के लिए ऐसे मॉडल बनाने के तरीके जो कृषि अपशिष्ट को ईंधन में बदले।

भारत कोकिंग गोल लिमिटेड द्वारा ग्रामीण विकास और स्थायी आजीविका पर एक सत्र में भारत में कोयले के खनन की स्थितियों और इसकी चुनौतियों पर चर्चा की गई। स्थानीय समुदाय के लिए पारिस्थितिकी की बहाली के जरिए आजीविका के मौके बनाने से संबंधित मुद्दों, कोयला खानक्षेत्र में खनन के बाद कृषि कारोबार, इको पार्क, इको टूरिज्म का विकास, कोयला क्षेत्रों में खान की आग से निपटने के तरीके, पारिस्थितिकी की बहाली, जैव विविधता, फूल-पेड़ पौधे आदि की बहाली पर विस्तार से चर्चा हुई। सत्र के दौरान जो अहम चर्चा हुई वह इस बात की संभावना थी कि ऐसे तरीकों का विकास किया जाए जो खान क्षेत्रों में खराब भूमि के विकास के लिए हो और इसे प्राकृतिक वन में बदला जा सके तथा यहां सिल्वीकल्चर / एग्रोफॉरेस्ट्री / एग्री बिजनेस आदि के काम किए जा सकें और पारिस्थिति की पुनर्बहाली के तरीकों में सुधार हो सके, इलाके की बेहतर प्रजातियों का चुनाव किया जाए और पारिस्थिति के लिहाज से पुनर्बहाली की संभावना को टटोला जाए, स्थानीय लोगों की आजीविका की संभावना को बेहतर करने के लिए पारिस्थितिकी की बहाली और खराब हो चुकी भूमि को पुराने पेड़ पौधों, जीवों आदि की बहाली कर इसे उपयोगी बनाना सामाजिक आर्थिक पार्क और इको टूरिज्म के विकास आदि पर चर्चा हुई।

रेसपांसिबल एग्रीबिजनेस (सीईओज राउंड टेबल) पर यूएन ग्लोबल कौमपैक्ट द्वारा एक सत्र का लक्ष्य भिन्न स्टेक धारकों के बीच साझेदारी का विकास करना था। यह कृषि कारोबार में उभरती रणनीतिक कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी तथा कृषि कारोबार आपूर्ति श्रृंखला में स्थायित्व के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों को संबोधित करने के जरिए है।

जलवायु परिवर्तन और कृषि कारोबार: हिन्दू कुश हिमालय में सीखी गई बातें पर सत्र में हिमालय क्षेत्र के मुद्दों पर रोशनी डाली गई और यहरीसीलियंस निर्माण (इलायची मूल्य श्रृंखला) और जलवायु परिवर्तन (शेड कॉफी प्लांटेशन) पर दो केस स्टडी के जरिए था। इस सत्र की दो प्रमुखबातें थीं! पहाड़ी की खेती में जलवायु को अपनाने और इसे कम करने के उपाय किए जाने चाहिए। कृषि कारोबार संयोदन के लिए संस्थागत व्यवस्था को मूल्य श्रृंखला में बेहतर किए जाने की आवश्यकता है ताकि जलवायु से प्रेरित आपदा के प्रति लचीलेपन का विकास किया जा सके तथा निजी क्षेत्र को चाहिए कि ऐसे बिजनेस मॉडल को अपनाए जिसके जरिए वे स्थायी पर्यावरण को बढ़ावा दे सकते हैं और साथ-साथ मुनाफा भीकमा सकते हैं।

सत्र के अन्य प्रमुख टेकअवे प्वाइंट में जलवायु की स्थिति अपनाना और उसमें परिवर्तन को कम करने के उपाय दोनों होने चाहिए और पहाड़ की खेती, कृषि कारोबार के लिए संस्थागत व्यवस्था और संयोजन में इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। जलवायु प्रेरित आपदा के प्रति लचीलापन बनाने के लिए मूल्य श्रंखला को बेहतर किया जाना चाहिए और निजी क्षेत्र को ऐसे कारोबारी मॉडल अपनाना चाहिए जिसके जरिए वे मुनाफा कमाते हुए स्थायी पर्यावरण को बढ़ावा दे सकें।

अमूल डेरी द्वारा खाद्य प्रसंस्करण पर एक सत्र में टोटल रूरल सैनिटेशन के तहत हाईजीन पर चर्चा हुई ताकि अमूल के मिल्क सोसाइटी वाले सभीगांवों में 100 प्रतिशत शौंचालय की सुविधा मुहैया कराई जा सके। मिशन दूध उत्पादकों में अच्छी आदतों को अपनाकर सिर्फ सांस्कृतिक परिवर्तन लाने के बारे में नहीं है बल्कि भारत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में क्रांति लाने वाले दूध सप्लाई की पूरी प्रक्रिया में साफ-सफाई और हाईजीन वाले व्यवहार को प्रोत्साहित करना है।

खाद्य पदार्थों की पोषण सुरक्षा पर एक सत्र में कृषि उत्पादन में स्थायी वृद्धि के लिए आवश्यक प्रयासों और नवीनताओं पर चर्चा हुई ताकि अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर किया जा सके, खाद्य पदार्थों के नुकसान और बर्बादी को कम किया जा सके और सुनिश्चित किया जा सके कि भूख और कुपोषण से परेशान हरेक व्यक्ति की पहुंच पौष्टिक खाद्यपदार्थ तक हो।

आईएफपीआरआई (इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट), नई दिल्ली द्वारा अन्य सत्र, जैसे कृषि कारोबार में आपूर्ति श्रृंखला, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा कृषि कारोबार शिक्षा, और डॉक्टर के शिव कुमार, प्रोफेसर ऑफ मार्केटिंग, लेहाई यूनिवर्सिटी पेनसिलवेनिया द्वारा रिसर्च पेपर लिखने पर पीयर मेनटरिंग वर्कशॉप में स्थायी कृषि, छोटे किसानों का सशक्तिकरण, स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ावा देना, ग्रामीण गरीबी खत्म करना, स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करना, जलवायु परिवर्तन से निपटना और अन्य मुद्दे जो 2015 के बाद के विकास एजंडा में 17 स्थायी विकास लक्ष्य के तहत निश्चित थे।

 

चंद्र मोहन

कृषि जागरण

English Summary: Agricultural businesses in emerging economies Published on: 04 January 2018, 08:20 AM IST

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