भिलाई : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र, पाहंदा (अ) दुर्ग द्वारा, ग्राम बटंग (पाटन) को अंगीकृत किया गया है। जिसमें विभिन्न प्रकार के विकास कार्योें हेतु योजना तैयार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख डाॅ. विजय जैन के मार्गदर्शन में महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने हेतु केंचुआ खाद उत्पादन तकनीक विषय पर एक दिवसीय महिला प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है।
एक कार्यक्रम उपस्थित 50 से अधिक महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को श्रीमती ललिता रामटेके मृदा वैज्ञानिक, केवीके पाहंदा दुर्ग ने महिला रोजगार उन्मुखी की तकनीकी जानकारी दी। जिसमें केंचुआ खाद उत्पादन के अंतर्गत आस-पास की गंदगी, कुड़ा-कचरा को सुव्यवस्थित ढंग से खाद निर्माण करने की जानकारी दी।
इसके अलावा श्रीमती रामटेके ने अन्य तकनीकी जानकारी जैसे - मशरुम उत्पादन, पोषण वाटिका के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। कार्यक्रम में केवीके के कीट वैज्ञानिक ईश्वरी कुमार साहू ने केंचुआ खाद बनाने हेतुु टांका कैसे तैयार करें, इसके लिये क्या-क्या सावधानियां आवश्यक हैै, के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा कर जानकारी उपलब्ध कराया।
ज्ञात हो कि जैविक खेती को लगातार लाभ की खेती बनाने हेतु विभिन्न प्रकार की तकनीकी जानकारी ग्राम बटंग में दिया जा रहा है। इसी तारतम्य में ग्राम में महिला समूह का निर्माण कर स्वरोजगार हेतु महिलाओं को विशेष प्रषिक्षण दिया गया है, जिसमें महिलाओं ने विशेष रुचि दिखाई है एवं ग्राम बटंग में बंद हो चुके वर्मी टांका को पुर्नजीवित करने हेतु प्रायोगिक रुप से वर्मी कम्पोस्टिंग की तकनीकी सीखी ।
उक्त कार्यक्रम में श्रीमती सरस्वती वर्मा, सुश्री सीमा वर्मा व श्रीमती नारायणी वर्मा ने विशेष सहयेाग प्रदान करते रहे हैं।केन्द्र के अन्य वैज्ञानिक श्रीमती नीतू वर्मा (शस्य विज्ञान) व विनय नायक (कृषि अंभियांत्रिक) श्रीमति आरती टिकरिहा (शस्य विज्ञान) ने भी विषय से संबंधित तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।
[स्रोत- घनश्याम जी.बैरागी]
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