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देश की 112 महिलाएं जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया

आज हर कोई प्रतिभा का धनी है लेकिन अपनी प्रतिभा के दम पर अपना सपना साकार करना बिरले लोगों का काम है। विभिन्न क्षेत्रों या पेशों में ऐसे ही कुछ लोग हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से मील का पत्थर स्थापित किया और लोगों की वाहवाही लूटी।

राष्ट्रपति ने इन असाधारण महिलाओं को किया सम्मानित

आज हर कोई प्रतिभा का धनी है लेकिन अपनी प्रतिभा के दम पर अपना सपना साकार करना बिरले लोगों का काम है। विभिन्न क्षेत्रों या पेशों में ऐसे ही कुछ लोग हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से मील का पत्थर स्थापित किया और लोगों की वाहवाही लूटी। दूसरी तरफ उन्होंने देश को गौरवान्वित होने का अवसर भी दिया और वैश्विक स्तर पर देश का नाम रोशन किया। आज हम आपको ऐसी ही कुछ प्रतिभाओं से मिलवाने जा रहे हैं जिन्हें आप जानते होंगे या उनके बारे में कहीं न कहीं पढ़ा या सुना होगा लेकिन वे किन वजह से अपने-अपने क्षेत्रों में अव्वल रहे यह कम लोगों को ही पता होगा।

आइये आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में जिन्होंने गुमनामी में खो जाने के बावजूद एक मुकाम हासिल किया। इनमें कुछ अभिनेत्रियां, पहली महिला कुली से लेकर ऑटो-रिक्शा चालक, पहली महिला ट्रेन, बस चालक और यहां तक कि पहली बारटेंडर और सेना, नौसेना में जाने वाली पहली महिला जिन्होंने अपने पेशे से संबंधित क्षेत्रों में हदों के पार जाकर शानदार काम किया उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। 112 महिलाओं की सूची में न सिर्फ परंपरागत पेशों से महिलाएं हैं बल्कि बेहद अलग पेशों से भी हैं। उनमें देश की पहली पेशेवर कॉफी टेस्ट करने वाली महिला, पहली महिला जासूस, पहली महिला बॉडी-बिल्डर प्रतियोगी, पहली साइबर अपराध जांचकर्ता और पहली महिला बैगपाइप कलाकार को भी शामिल किया गया।

शीला दावरे

सम्मानित महिलाओं की फेहरिस्त में पहली ऑटो-रिक्शा चालक शीला दावरे भी सम्मिलित थीं। उन्होंने 1988 में रूढ़ीवादी मान्यताओं को झुठलाते हुए 12 वर्ष की उम्र में परबनी जिले से पुणे जाने का साहसी फैसला लिया और मात्र 12 रूपये लेकर वे निकल पड़ीं अपने सपनों को साकार करने के लिए। पुणे जाकर उन्होंने ऑटो-रिक्शा चलाना शुरू किया। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स में भी शामिल है।

पंकज भदौरिया

मास्टर शेफ इंडिया जीतने वाली पहली भारतीय महिला पंकज भदौरिया भी सम्मानित की गई महिलाओं में शामिल थीं। उन्होंने बताया कि यह एक खूबसूरत पहल है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ उन महिलाओं को पहचान दे रहा है बल्कि उन युवा लड़कियों को भी आगे बढ़ने का मौका दे रहा है जो अपने जीवन में एक मुकाम हासिल करना चाहती हैं।

उपासना टाकू

कैशलैस पेमेंट कंपनी की नींव रखने वाली पहली महिला उपासना टाकू ने कैशलैस इकोनॉमी का सपना देखा और वर्ष 2009 में उन्होंने अपने इस सपने को साकार करने के लिए काम शुरू किया। आपको बता दें कि वे ई-पेमेंट प्लेटफॉर्म मोबीकविक की सह-संस्थापक हैं। टाकू कहती हैं, मुझे हमेशा से इस बात का अहसास था कि हमें भुगतान के लिए लाइन में खड़े होकर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और इस सब की शुरूआत वहां से हुई। मैं खुश हूं कि मुझे इस तरह की पहचान मिल रही है।

कल्पना चावला

करनाल, हरियाणा के छोटे से गांव की लड़की कल्पना चावला का नाम तो आप सभी ने सुना होगा। जी हां, अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला वे ही थीं। अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला के तौर पर कल्पना चावला ने देश का नाम रोशन किया। हालांकि 1 फरवरी 2003 में उनकी मृत्यु हो गई थी।

बछेंद्री पाल

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला का खिताब बछेंद्री पाल के नाम है। उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर 7 रिकॉर्ड अपने नाम किए। उन्हें पद्मश्री व अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया और उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया।

ऐश्वर्या सहित और भी कई नाम शामिल

इस सूची में ऐश्वर्या राय का नाम भी शामिल है क्योंकि वे कान्स में जूरी सदस्य बनने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री थीं।

निकोल फारिया

मिस अर्थ का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला के तौर पर निकोल फारिया को भी स्थान दिया गया।

खेल जगत भी नहीं रहा पीछे

खेल जगत से जुड़ी कई महिलाओं को उनकी प्रतिभा के आधार पर सम्मानित किया गया। फिर वो चाहे सानिया मिर्जा हों या फिर दीपा करमाकर, लगभग हर उस महिला को इस सूची में शामिल कर सम्मान दिया गया जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में देश का परचम लहराया और देश का नाम रोशन किया।

पहली महिला जिम्नास्ट

रियो ओलंपित में क्वालीफाई करने वाली पहली महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर को उनकी इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया।

अंजुम चोपड़ा

भारत की पहली महिला क्रिकेटर जिन्हें मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की आजीवन सदस्यता मिली।

पैरालंपिक खेलों में पहला पदक

पैरालंपिक खेलों में पहला पदक जीतने वाली भारतीय महिला दीपा मलिक ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा यह सम्मान पाया।

ओलंपिक में रजत पदक विजेता

ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पी.वी. सिंधु भी शामिल हैं।

साइना भी नहीं रहीं पीछे

साइना नेहवाल, ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। उन्हें भी राष्ट्रपति ने सम्मानित किया।

मैरीकॉम ने मनवाया अपनी मुक्केबाजी का लोहा

मुक्केबाज एम.सी. मैरीकॉम एशियाई खेलों में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

साक्षी पहली भारतीय महिला पहलवान

साक्षी मलिक ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। उन्हें भी इस सम्मान से नवाजा गया।

पहली भारतीय महिला क्रिकेटर

मिताली राज पहली महिला भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने 6 हजार रन बनाए।

सानिया और पी.टी. उषा भी इस दौड़ में

इस सूची में सानिया मिर्जा महिला टेनिस संघ डब्ल्यूटीए डबल रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज होने वाली पहली भारतीय महिला और पी.टी. उषा ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला भी शामिल हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में इन असाधारण महिलाओं को सम्मानित किया जो संबंधित क्षेत्रों में मील का पत्थर कायम करने वाली पहली महिला भारतीय महिला रहीं।

सूची में सेना में जाने वाली पहली महिलाएं भी हैं

इन 112 महिलाओं की सूची में सेना में जाने वाली पहली महिला, पहली पायलट, पहली मर्चेंट नेवी कैप्टन, पहली महिला न्यायाधीश, पहली महिला भारोत्तोलक, पहली वन-डे कप्तान व अन्य क्षेत्रों से महिलाएं शामिल हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) जोसीसिला फरीदा रेहाना भारतीय सेना की पहली महिला पैराट्रपर (एएमसी) ने कहा कि यह उनके लिए किसी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से कम नहीं है। गौरतलब है कि 1940 में मैसूर में जन्मीं रेहाना सन् 1964 में भारतीय सेना में शामिल हुई थीं।

पहली महिला क्रिकेट कोच

द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजीं जा चुकीं पहली भारतीय महिला क्रिकेट कोच सुनीता शर्मा को भी इस सूची में शामिल किया गया। उनके लिए यह देर आए दुरुस्त आए जैसा था।

रजनी - पहली महिला जासूस

महिलाओं को जासूसी करने की आदत तो होती है लेकिन उसी को अपना पेशा बनाकर रजनी पंडित ने अपने नाम के झण्डे गाढ़े हैं। उन्होंने 75,000 केसेस सुलझाए हैं और 57 अवॉर्ड भी जीते हैं। यही नहीं उन्होंने दो किताबें फेसेस बिहाइन्ड फेसेस और मायाजाल जैसी किताबें भी लिखी हैं।

मेनका की प्रथम महिला पहल 

इस सूची को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा एक साल की अवधि में काफी शोध करने के बाद तैयार किया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस अवसर पर कहा कि हमें उन लोगों के सम्मान का जश्न मनाना चाहिए जिन्होंने जीवन में असाधारण काम किए हैं। इन महिलाओं को साथ लाना उनके और उनके काम को सम्मान देने का एक तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रथम महिला पहल के जरिए मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिलाओं की पहचान की है।

रूबी जैन

English Summary: 112 women in the country who considered their talent Published on: 23 January 2018, 06:02 AM IST

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