आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किसानों के लिए ऐतिहासिक फैसले लिए जा रहे है. अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने अपना अंतरिम बजट पेश किया था. इस बजट में भी किसानहित में कई बड़े योजनाओं का ऐलान किया गया था. जिसे लेकर सियासी जगत में जमकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति हुआ था. अब उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के किसानों को ख़ुशी पैगाम दिया है. दरअसल केंद्र सरकार ने उनके गन्ने के बकाया चुकता की पक्की गारंटी सुनिश्चित की है. इसके लिए 10 हजार करोड़ से अधिक का रियायती दर पर लोन मुहैया करने का फैसला किया गया है.
गौरतलब है कि इस ऋण का इस्तेमाल चीनी मिलें सिर्फ और सिर्फ गन्ना किसानों को भुगतान करने के लिए कर सकती है.यूपी की राजनीति में गन्ना किसानों की निर्णायक भूमिका को देखते हुए केंद्र सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है. राज्य सरकार ने मीलों को पहले ही चेतावनी जारी कर भुगतान करने का दबाव बढ़ा दिया गया है. बता दे कि राज्य की 30 से अधिक संसदीय सीटों पर गन्ना किसानों का राजनीतिक प्रभाव है, जहां वे चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते है.ऐसे में भारतीय जनता पार्टी यह वोट खोना नहीं चाहती.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यूपी के पूर्वांचल और पश्चमी यूपी में ज्यादातर चीनी मिलें है. प्रदेश में 40 लाख गन्ना किसान परिवार है. जो चुनाव में निर्णायक व अहम भूमिका निभाते रहे है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नजर उन पर रहती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां के किसानों ने जमकर वोट दिया था. इसी के मद्देनजर कैबिनेट ने गन्ना मूल्य भुगतान के लिए 10, 540 करोड़ की धनराशि मंजूर की है. जो चीनी मीलों को अत्यंत न्यूनतम दरों पर उपलब्ध कराया जायेगा. गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्तर पर जहां 20 हजार करोड़ रुपये है , जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 78,13 करोड़ रुपये है.
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