
खेती में जब मेहनत के साथ जुगाड़ जुड़ जाए, तो असंभव भी संभव हो जाता है. उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ सिंह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. आमतौर पर केले की खेती में पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाने का काम बेहद कठिन, समय लेने वाला और महंगा होता है. पर हिमांशु नाथ ने अपने जुगाड़ू दिमाग से इस कठिन काम को आसान बना दिया है.
उन्होंने मिनी ट्रैक्टर में प्लाऊ को उल्टा जोड़कर ऐसा देसी जुगाड़ यंत्र तैयार किया है, जिससे अब यह काम सिर्फ एक दिन में 20 बीघा खेत में हो जाता है, जो पहले 5-7 मजदूरों को 10 दिन में करना पड़ता था. यह न केवल समय की बचत है, बल्कि मजदूरी की लागत में भी भारी कमी आई है. उनके इस अनोखे जुगाड़ ने खेती को मुनाफे का सौदा बना दिया है.
जुगाड़ की शुरुआत: ज़रूरत ने बनाया आविष्कारक
हिमांशु नाथ सिंह की खेती की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. पहले वे भी पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, लेकिन लगातार मजदूरी की बढ़ती लागत और समय की कमी ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया. केले की खेती में सबसे कठिन काम होता है जड़ों पर मिट्टी चढ़ाना, जिससे पौधे आंधी-तूफान के दौरान उखड़ते नहीं हैं और अच्छी उपज मिलती है. इस काम में बहुत मेहनत और समय लगता था. यहीं से उन्होंने सोचना शुरू किया कि कोई ऐसा तरीका हो जिससे ये काम मशीन से हो सके और जल्दी हो सके.
वे अपने खेत में मौजूद मिनी ट्रैक्टर को देखकर सोचने लगे कि क्या इसे किसी तरह से इस काम में लगाया जा सकता है. फिर उन्होंने पुराने प्लाऊ (हल) को उल्टा जोड़ा और खुद प्रयोग करना शुरू किया. कई बार असफल हुए, पर हार नहीं मानी. आख़िरकार उनके जुगाड़ ने काम कर दिखाया.
कैसे काम करता है हिमांशु नाथ का जुगाड़
उन्होंने मिनी ट्रैक्टर के पीछे लगे प्लाऊ को उल्टा इस तरह फिट किया कि वह केले के जड़ों पर मिट्टी को खींचकर जड़ों पर जमा देता है. इससे पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए, तेज़ी से मिट्टी चढ़ जाती है. पहले यह काम हाथों से होता था, जिसमें कई मजदूर लगते थे, और समय भी बहुत लगता था. अब एक ट्रैक्टर चालक ही यह काम पूरा कर देता है. यह तरीका इतना प्रभावी है कि 20 बीघा खेत में जहां पहले लगभग 10 दिन लगते थे, अब वह काम एक ही दिन में पूरा हो जाता है. जुगाड़ से तैयार यह यंत्र सस्ता भी है और टिकाऊ भी. इसे किसी भी किसान द्वारा आसानी से अपनाया जा सकता है.
कृषि में नवाचार का संदेश
हिमांशु नाथ मानते हैं कि अगर हमें खेती में लाभ कमाना है, तो हमें नई सोच और तकनीक अपनानी होगी. कृषि जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा, "जब तक हम बदलाव नहीं लाएंगे, तब तक परिणाम नहीं बदलेंगे." उनका जुगाड़ यह साबित करता है कि गांव का किसान अगर ठान ले तो आविष्कार कर सकता है.
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
हिमांशु नाथ सिंह अब अपने इस जुगाड़ को अन्य किसानों के बीच भी साझा कर रहे हैं. वे अपने अनुभवों को लोगों से बांटते हैं, उन्हें सिखाते हैं कि कैसे कम संसाधनों में भी बड़ी सफलता पाई जा सकती है. उनका सपना है कि हर किसान आत्मनिर्भर बने और आधुनिक तकनीक को अपनाकर खेती को फायदे का व्यवसाय बनाए.
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