हमारे देश के किसान कृषि के लिए अनियमित मानसून और अपर्याप्त विद्युत प्रणालियों पर निर्भर रहते हैं. इन चुनौतियों के कारण किसानों की फसल उत्पादन क्षमता कम होती है. भारतीय किसानों के पास देश की उष्णकटिबंधीय जलवायु के रूप में एक मूल्यवान सोलर संपत्ति है, जो किसानों को खेतों में सौर पैनल स्थापित कर ऊर्जा और पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने का अवसर प्रदान करती है. सौर पैनलों का इस्तेमाल भारत के कृषि परिदृश्य को देखते हुए इसे एक बेहतर इस्तेमाल के तौर पर लिया जा सकता है. वर्तमान में देश में सौर पैनलों की बहुत मांग भी है और भारत सरकार इसके इंस्टालेशन पर अनुदान भी मुहैया करा रही है.
ऊर्जा पर निर्भरता
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बिजली की कमी या आपूर्ति सही समय पर नहीं हो पाती है. ऐसे में खेतों पर सौर पैनल स्थापित करके, किसान अपनी खुद की बिजली उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे सिंचाई, मशीनरी और अन्य कृषि कार्यों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं. इससे किसानों की ग्रिड पर निर्भरता कम होती है और उत्पादकता में सुधार भी होगा.
सिंचाई में आसानी
खेती पानी पर निर्भर होती है और सौर ऊर्जा के माध्यम से फसलों में सिंचाई के लिए कुओं और अन्य जल स्रोतों से पानी पंप करने में मदद मिलती है. सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप प्रचुर मात्रा में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके दिन के दौरान काम कर सकते हैं, जो पौधों की पानी की जरूरतों को पूरा कर सकता है.
पैसों की बचत
साधारण बिजली की तुलना में सोलर पैनल पर कम खर्च आता है. एक बार सौर पैनल स्थापित हो जाने के बाद, उनकी परिचालन और रखरखाव लागत अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे किसानों को अन्य आवश्यक जरूरतों के लिए धन की बचत हो पाती है. खेती के अलावा, सौर ऊर्जा किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान कर सकती है. किसान भाई अतिरिक्त बिजली पैदा करके इसे नेट मीटरिंग के माध्यम से ग्रिड को वापस बेच सकते हैं, जिससे इनकी कमाई भी होगी.
कार्बन पदचिह्न/ प्रदूषण में कमी
सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है. यह सौर पैनल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम कर होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रति हमको सजग रखता है. पर्यावरण में कोयले के कारण काफी ज्यादा प्रदूषण होता है, इसकी उपयोगित कम करके यह हमें एक स्वच्छ माहौल प्रदान करता है.
रिमोट एक्सेस
सौर ऊर्जा से चलने वाली प्रौद्योगिकियों को डिजिटल टूल और सेंसर के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे किसानों को अपने खेतों की दूर से निगरानी और प्रबंधन करने में आसानी होती है. इसमें मिट्टी की नमी, मौसम की स्थिति और फसल स्वास्थ्य की निगरानी करना, निर्णय लेने में सक्षम बनाना और संसाधन उपयोग को अनुकूलित करना शामिल है.
ग्रामीण विकास
खेतों पर सौर पैनल स्थापित करने से इसके रखरखाव और मरम्मत के लिए स्थानीय रोजगार पैदा होते हैं. इससे ग्रामीण समुदायों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और भारत सरकार भी लोगों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन, सब्सिडी, योजनाएं और नीतियां प्रदान करती रहती है. किसान भी इन योजनाओं का लाभ उठाते हैं.
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सौर पैनल स्थापना की लागत
अगर आप अपने आवास पर सौर पैनल स्थापित करते हैं तो आपका मासिक बिजली खर्च बहुत कम आएगा. हालाँकि इसके प्रारंभिक सेटअप की लागत थोड़ी ज्यादा होती है, जिसमें सौर उपकरण, पैनल माउंट और श्रम आदि शामिल होता हैं. अगर आपके इलाके में अच्छी धूप आती है तो यह 6 से 8 वर्षों में पूरी लागत की भरपाई कर देगा. अगर आप अपने घर पर सौर पैनल स्थापित करना चाह रहे हैं तो छत की संरचना के प्रकार, छायांकन और उपयोगिता के आधार पर इसका इंस्टालेशन किया जा सकता है. इसकी 3 किलोवाट प्रणाली के लिए लागत दो लाख रुपये से 2,15,000 रुपये तक होता है. इसे आप आराम से अपने घर की छत पर लगा सकते हैं.
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