आज के इस आधुनिक युग में जिस तरह से अन्य उत्पादों के बाजार में सामान आ रहे हैं. ठीक उसी तरह से मार्केट में कई तरह का आटा आ गया है, जिसे खाकर लोग अपने आप को नुकसान पहुंचा रहे हैं. क्या आप ऐसा आटा तो नहीं खा रहे है जिसमे पोषक तत्व और प्राकृतिक विटामिन (Nutrients and Natural Vitamins) के नाम पर कुछ भी नहीं है. ऐसा आटा आपकी इम्युनिटी को तो बढ़ता नहीं है बल्कि आपको बीमारी की तरफ ले जाता है. इससे बचने व अपने आप को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने के लिए आपको हाथ वाली चक्की (hand mill) से तैयार किए हुए आटे का सेवन करना चाहिए. इसी के चलते आज हम आपको हाथ से चलने वाली वैदिक चक्की के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आधुनिक चक्की का काम करती है.
बता दें कि यह चक्की सिर्फ आटा ही नहीं बल्कि कई तरह के मसालों की भी पिसाई करती है. दरअसल, वैदिक चक्की दिल्ली-NCR की पहली हाथ वाली आटा चक्की है, जो गाजियाबाद के चंदर नागर में मौजूद है. इनका मानना है कि वैदिक चक्की स्वस्थ भारत की पहचान है. अगर आपका आटा बीमार है, तो आज ही वैदिक चक्की से तैयार किया हुआ आटा अपने घर लाएं.
वैदिक चक्की का आटा कैसे है आपके लिए फायदेमंद
वैदिक चक्की आटे को धीमी गति से पिस्ती है जिसके वजह से वह ठंडा रहता है और उसके प्राकृतिक गुण नष्ट नहीं होते है.
आजकल की आधुनिक चक्कियों में केमिकल वाला पत्थर (Emery Stone) इस्तेमाल होता है जिसके कण आटे में आते है. जो ज्यादातर एमेरी पत्थर Aluminum Oxide से बनता है, जो की कैंसर कारक है. इसके विपरीत वैदिक चक्की में इस्तेमाल होने वाला पत्थर प्राकृतिक होता है इसी कारण वह हमें हानि नहीं पहुंचाता है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वैदिक चक्की का RPM 30 से लेकर 50 तक होता है. चक्की डिसेंट्रिक लगभग 10mm आगे पीछे होते हुए चलती है जिससे घर्षण कम होता है. इसलिए चक्की गर्म नहीं होती और जिससे ठंडा आटा रहता है जिस वजह से पूरे पोषक तत्व आटे में बने रहते हैं.
वहीं अगर हम आज के समय में यानी आधुनिक चक्की की बात करें तो इनमें RPM 200 से लेकर 1500 तक होते हैं. चक्की को तेज गति से चलाने के लिए उसके पत्थर की एक सेंटर पकड़ के चला जाता है. जिससे घर्षण ज्यादा होता है और चक्की गर्म आटा देती है जिसकी वजह से आटे के प्राकृतिक तत्व पूरी तरह से नष्ट हो जाते है. इन चक्की के द्वारा तैयार किए गए आटे की लाइफ लाइन कई महीनों तक होती है, जो की हमारे शरीर के लिए सही नहीं है.
एक समय था जब वैदिक चक्की घरों की शान होती थी आप एक पीढ़ी पीछे जाये तो देखेंगे कि हमारे बुजुर्गो ने इसी वैदिक चक्की से बने आटे और अन्य सामान का उपयोग किया और उन्हें कभी गैस, अपच या कब्ज जैसी बीमारी नहीं हुई. उनकी सेहत और अपनी सेहत की आप खुद तुलना कर सकते हैं. बता दें कि वैदिक चक्की से तैयार किया गया आटा 20-25 दिन तक ही चलता है. यानी कि हाथ वाली चक्की से आटा आप की जरूरत के अनुसार तैयार होता है जिससे आपको हमेशा शुद्ध और ताजा आटा मिलता है.
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