भारतीय खान-पान में तिल का बहुत महत्व है। तिल में कई पोषक तत्व होते हैं, जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट्स, तांबा, लोहा, मैग्नीशियम आदि। इसके अलावा प्राचीन समय से खूबसूरती बनाए रखने के लिए भी तिल का प्रयोग किया जाता रहा है। त्वचा की खूबसूरती बनाए रखने के लिए भी तिल का उपयोग अहम् है। तिल तीन तरह के होते हैं- काले, सफेद और लाल। लाल तिल का प्रयोग बहुत कम किया जाता है। तिल का तेल भी बहुत फायदेमंद होता है।
बुरे कोलेस्ट्रॉल को करे कम
तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो शरीर से बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके, अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल को बढ़ाने में मदद करते हंै। तिल खाने से हृदय से संबंधित रोग होने की आशंका काफी कम हो जाती है।
कैंसर से करे रक्षा
तिल में सेसमीन नाम का एंटीऑक्सिडेंट होता है। यह एंटीऑक्सिडेंट कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ उसके जीवित रहने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में मदद करता है। यह फेफड़ों के कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में मददगार है।
तनाव को करे कम
तनाव और अवसाद को कम करने में सहायक नियासिन नाम का विटामिन भी तिल में मौजूद होता है, इसलिए इसका सेवन हमारे तनाव को भी कम करने में कारगर है।
शिशु की हड्डियों को बनाये मजबूत
तिल में डायटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होते हैं। यह बच्चों की हड्डियों के विकसित होने और उन्हें मजबूती प्रदान करने में मदद करते हैं।
शिशुओं के लिए तेल मालिश के रूप में कारगर
तिल के तेल से शिशुओं की मालिश करने पर उनकी मांसपेशियां मजबूत होती हंै। यही नहीं, मांसपेशियों का अच्छा विकास भी होता है। आयुर्वेद के अनुसार तिल के तेल से मालिश करने पर शिशु आराम से सोते हैं।
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