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ये है भारत के 8 सबसे धाक्कड़ गांव, जानिए क्या है इनकी खासियत

लोगों के दिमाग में अक्सर ये रहता है कि वे गांव को शहर से पीछे समझते हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि भारत के कुछ गांव ऐसे भी है जहां के लोग शहरों से कम नहीं हैं. आज हम आपको देश के कुछ ऐसे ही गांवों के बारे में बताने जा रहे हैं जो शिक्षा, मुद्रा, नौकरशाही और समाज सेवा जैसे कार्यों से देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं…

KJ Staff

लोगों के दिमाग में अक्सर ये रहता है कि वे गांव को शहर से पीछे समझते हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि भारत के कुछ गांव ऐसे भी है जहां के लोग शहरों से कम नहीं हैं. आज हम आपको देश के कुछ ऐसे ही गांवों के बारे में बताने जा रहे हैं जो शिक्षा, मुद्रा, नौकरशाही और समाज सेवा जैसे कार्यों से देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं.

1- जौनपुर, उत्तर प्रदेश का माधोपट्टी गांव

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में सिरकोनी ब्लाक के इस गांव की कहानी आपको बहुत पसंद आएगी. कहते हैं कि इस गांव में सिर्फ आईएएस और आईपीएस ही पैदा होते हैं. पूरे जौनपुर में ये गांव अफसरों वाले गांव के नाम से जाना जाता है. 75 घर वाले इस गांव के 47 आईएएस अफसर देश के अलग-अलग राज्यों में सेवा कर रहे हैं. इस गांव के कुछ लोग वैज्ञानिक तो कुछ लोग भाभा और विश्व बैंक तक में काम करते हैं. साल 1914 में इस गांव के मुस्तफा हुसैन पीसीएस अधिकारी चुने गए थे. साल 1952 में इंदू प्रकाश सिंह का आईएफएस में सिलेक्शन हुआ था. उसके बाद तो इस गांव में अधिकारी बनने की लाइन सी लग गई. देखते ही देखते गांव में अधिकारियों की फ़ौज खड़ी हो गई.

2- राजसमंद, राजस्थान का पिपलांत्री गांव

जहां भारत में कई जगह लड़कियों को बोझ समझते हैं वहीं राजस्थान का एक गांव ऐसा भी है जो बेटियों के जन्म लेने पर खुशियाँ मनाता है. इस गांव में जब किसी के घर बेटी पैदा होती है, तब माँ बाप 111 पेड़ लगाकर बेटी के पैदा होने का जश्न पूरा करते हैं. गांव के लोग चंदा लगाकर 21 हजार रुपये इकठ्ठा करके बच्ची के नाम से बैंक में जमा भी करवाते हैं. साथ ही गांव की पंचायत के तरफ से भी 10 हजार की राशि बेटी के नाम जमा करवाई जाती है. इस परम्परा की शुरूआत पिपलांत्री गांव के पूर्व सरपंच श्याम सुन्दर पालीवाल ने अपनी बेटी के स्मृति के रूप में शुरू की थी.

3-शिमला, हिमांचल प्रदेश का मड़ावग गांव

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की चौपाल तहसील में बसा मड़ावग गांव खेती के लिए जाना जाता है. इस गांव की ज्यादातर आमदनी का जरिया खेती ही है. गांव के किसानों ने अपनी मेहनत और लगन से इस गांव को एशिया का सबसे अमीर गांव बना दिया. इस गांव की आबादी लगभग 2000 है. इस गांव के सभी किसान सेब की खेती करते हैं, और इस गांव के ज्यादातर सेब विदेशों में इस्तेमाल किए जाते हैं. इसलिए इस गांव की कमाई भी ज्यादा होती है. गांव के किसान अपनी खेती में कई तरह के टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. इंटरनेट के जरिये भी किसान जुड़े रहते हैं. इससे बाजार भाव के अनुसार ही वे सेब बेचते हैं. इन किसानों की सेब से होने वाली कमाई अरबों रुपये में होती है.

4-अहमदनगर, महाराष्ट्र का हिवेरा बाजार गाँव

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का यह गांव हिवेरा बाजार कभी बहुत गरीब हुआ करता था. गरीब होने की वजह से यहां के लोग शहर जाकर पढ़ाई करने लगे लेकिन नौकरी ना लगने की वजह से वापस गांव आकर खेती करने लगे. गांव के युवाओं ने खेती के तरीके में नई तकनीक का इस्तेमाल किया और धीरे धीरे गांव में ही जैविक खेती का सफल प्रयोग कर डाला. उसके बाद गांव के युवकों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनके जोश और लगन से आज उस गांव का नक्शा ही बदल गया. आज इस गांव में 80 किसान करोड़पति हो चुके हैं और गांव की पहचान करोड़पतियों किसानों वाले गांव के रूप में हो गई है. कभी दाने-दाने के लिए मोहताज रहने वाला यह गांव आज करोड़पति हो गया है और देशभर के किसानों का रोल मॉडल बन गया है.

5- आणंद, गुजरात का धर्माज गांव

गुजरात के आणंद जिले का धर्माज गांव आज भारत के धनी गांवों में शामिल है. इस गांव की आबादी लगभग 11000 है. इस गांव के ज्यादातर लोग विदेशों में बिजनेस करते हैं. इस गांव में कुल 13 बैंक हैं. यह गांव पढ़ाई के मामले में पहले से बहुत आगे आगे निकल चुका है. गांव में ज्यादातर पटेल समुदाय के लोग रहते है. यहाँ के लोगो की जिंदगी किसी राजा महाराजा से कम नहीं है. गांव के 1,700 परिवारों के सदस्य ब्रिटेन में रहते हैं, जबकि 300 के परिवार अमेरिका में, 160 के न्यूजीलैंड में, 200 के कनाडा में और 60 परिवारों के सदस्य ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. कुल मिलाकर यहां 3,120 परिवार विदेश में रहते हैं और झोली भर भरकर गाँव में पैसा भेजते हैं.

6-खेड़ा, गुजरात का उत्तरसंडा गांव

भारत के अच्छे गांवों की बात हो और गुजरात का उत्तरसंडा गांव का नाम ना आए तो बेकार है. यह गाँव पापड़, मठिया ओर चोलाफली जैसे खाने-पीने की चीजों के लिए जाना जाता है. दीवाली के मौके पर इन सब चीजों की बहुत खरीदा जाता है. यहाँ की महिलाएं तकरीबन 70 करोड़ रुपयों का कारोबार एक महीने में करती हैं. गांव की महिलाएं इस काम में पुरुषों से बहुत आगे जा चुकी हैं. इस गांव में बने पापड़, मठिया ओर चोलाफली देश और विदेश में भेजे जाते है. अपने इस बिज़नेस के चलते अब यह गाँव एक बहुत बड़ी मार्केट में बदल गया है. इस गांव की महिलाओं ने एक बार फिर साबित कर दिया कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं.

7-कच्छ, गुजरात का माधापुर गांव

गुजरात के कच्छ जिले का यह गांव भी धर्माज की तरह करोड़पति गांव बन गया. इस गांव में लगभग 15000 आबादी है जिसमें से ज्यादातर लोग विदेशों में रहते है. इस गांव की गिनती पहले एशिया के सबसे धनी गांव के रूप में होती थी, लेकिन इस गांव की जगह हिमाचल के गांव मड़ावग ने ले ली है. इस गांव में लगभग 10 से ज्यादा बैंक हैं. इस गांव की सबसे खास बात यह है कि अमीर होने के बावजूद भी इस गांव के लोग बहुत सरल तरीके से जीवन यापन करते है. गांव के लोग अफ्रीका, अमेरिका, ब्रिटेन सहित दुनिया के तमाम देशों में बसे हैं.

8-नागौर, राजस्थान का बेरी गाँव

राजस्थान के नागौर जिले का बेरी गांव सबसे अमीर गांव माना जाता है. लगभग 10,000 आबादी वाले इस गांव में सभी धर्म के लोग रहते हैं. इस गांव में करीब 200 से ज्यादा लोग भारतीय सेना में देश की सेवा कर रहे हैं. इस गांव में हर दूसरे घर से एक आदमी सेना में भर्ती है. भाभा परमाणु संस्थान के जाने माने वैज्ञानिक खान मोहम्मद खान इसी गांव के निवासी हैं. इस गांव में राजस्थान की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस है. गांव की साक्षरता करीब 90 फीसदी है. इस गांव की सबसे खास बात यह है कि इस गांव में एक भी शराब, पान, बीड़ी, गुटके की दुकान नहीं है. इस गांव में शादी में डी.जे बजाना मना है.

English Summary: This is 8 of India's most famous village, know what their specialty is. Published on: 06 October 2017, 12:47 AM IST

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