जल ही जीवन है इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है क्योंकि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है. जल के बिना धरती के किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है. हमारी धरती पर वैसे तो 70% जल ही है लेकिन मनुष्य के पीने लायक जल केवल कुछ ही प्रतिशत है जो कि हमें भूमिगत, नदियों, तालाबों और वर्षा के पानी से उपलब्ध होता है. लेकिन दिनों दिन वर्षा की कमी के कारण भूमिगत जल में कमी आ गई है जिसके कारण पूरे विश्व में पानी की किल्लत हो गई है. इसलिए हमें जितना हो सके उतना जल का संरक्षण करना चाहिए.
इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोजा है जिसकी बदालैत सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करते हुए पानी में मौजूद प्रदूषित तत्वों को हटाकर जल का दोहन कम किया जा सकता हैं.. दरअसल जर्मनी के 'मार्टिन लूथर विश्वविद्यालय' (एमएलयू) हेले विटेनबर्ग के शोध कर्मियों ने पानी में घुले हुए प्रदूषित तत्वों हटाने के लिए पानी में आसानी से गतिशील इलेक्ट्रॉन्स यानि हाइड्रेटेड इलेक्ट्रॉन्स का उपयोग किया. इससे पानी के प्रदूषकों को हटाने में सहायता मिली.
ख़बरों के मुताबिक, एमएलयू के प्रोफेसर मार्टिन गोएज ने बताया, ‘‘ये इलेक्ट्रॉन काफी प्रतिक्रियाशील हैं और इनका प्रतिक्रिया के वास्ते इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सख्त प्रदूषकों को भी तोड़ने में सक्षम हैं. ’’ पानी से प्रदूषकों को हटाने के लिए इलेक्ट्रॉन को आणविक यौगिकों से छोड़ना पड़ता है जहां इन्हें पूरी तरह से बंद रखा जाता है. अब तक ऐसे इलेक्ट्रॉन को पैदा करना बहुत जटिल और खर्चीला था. मगर अब शोधकर्मियों ने एक नयी प्रक्रिया को विकसित किया है जिसमें ऊर्जा के एकमात्र स्रोत के रूप में ग्रीन लाइट एमिटिंग डायोड की जरूरत होती है. वांछित प्रतिक्रिया कराने के लिए उत्प्ररेक के तौर पर विटामिन सी और धातु मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है.
विवेक राय,
कृषि जागरण
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